सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज में राष्ट्रीय कार्यशाला में शोध और नवाचार विषय पर हुई चर्चा

कार्यशाला बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से आयोजित की जा रही है.

By RAJEEV KUMAR JHA | August 28, 2025 6:01 PM

सुपौल. सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित सप्ताहीय राष्ट्रीय कार्यशाला इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज एवं सर्किट्स में उभरते अनुप्रयोग का चौथा दिन शोध और नवाचार की दृष्टि से बेहद अहम रहा. दिनभर चले विभिन्न सत्रों में देश के ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की चुनौतियों और संभावनाओं से रूबरू कराया. यह कार्यशाला बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से आयोजित की जा रही है. दिन की शुरुआत डॉ चंदन कुमार (सहायक प्राध्यापक, ईसीई एवं डीन अकादमिक्स के व्याख्यान से हुई. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज फॉर गैस सेंसिंग एप्लिकेशंस विषय पर विस्तृत जानकारी दी और बताया कि गैस सेंसर उद्योग, चिकित्सा और पर्यावरण निगरानी में कितने उपयोगी साबित हो रहे हैं. इसके बाद डॉ दीपक कुमार जारवाल ने पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स पर प्रस्तुति दी. उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा भविष्य की सबसे बड़ी जरूरत है और पेरोव्स्काइट तकनीक उच्च दक्षता व कम लागत के कारण सिलिकॉन आधारित सोलर सेल्स का बेहतर विकल्प बन सकती है. तीसरे सत्र में श्री नवीन कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक सर्किट सिमुलेशन यूजिंग प्रोटियस सॉफ्टवेयर पर विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया. उन्होंने बताया कि आधुनिक सिमुलेशन टूल्स शोध और डिज़ाइन प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बनाते हैं. दिन का अंतिम सत्र डॉ प्रमोद कुमार तिवारी ने लिया. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज फंडामेंटल्स एवं नैनोस्केल टेक्नोलॉजी पर व्याख्यान देते हुए सेमीकंडक्टर डिवाइसों से लेकर नैनो तकनीक तक की यात्रा को सरल ढंग से समझाया. उन्होंने कहा कि नैनो-इलेक्ट्रॉनिक्स आने वाले समय में स्वास्थ्य, ऊर्जा और संचार क्षेत्र में क्रांति ला सकती है. सत्रों के समापन पर प्राचार्य डॉ अच्युतानंद मिश्रा ने कहा कि इस कार्यशाला ने छात्रों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से सीधे संवाद का अवसर प्रदान किया है. उन्होंने विश्वास जताया कि सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज शोध और नवाचार का केंद्र बनेगा और बिहार के युवा वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अपनी मजबूत पहचान बनाएंगे. प्रतिभागियों ने कार्यशाला के चौथे दिन को बेहद प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम उन्हें शोध एवं नवाचार की दिशा में नई ऊर्जा और दृष्टि प्रदान करते हैं.

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