आचार संहिता लागू होते ही प्रशासन सक्रिय, हटने लगे बैनर-पोस्टर
ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिखा असर
सुपौल. आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सोमवार को चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू कर दिए जाने के बाद जिले में प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया. जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों द्वारा लगाए गए बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स और वाल पेंटिंग को हटाने की कार्रवाई शुरू हो गई है. जैसे ही आचार संहिता के लागू होने की आधिकारिक घोषणा हुई, वैसे ही जिला प्रशासन ने सभी प्रखंडों और नगर निकायों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए. इन निर्देशों के तहत सार्वजनिक स्थलों, सरकारी भवनों, बिजली के खंभों, स्कूल परिसरों, पंचायत भवनों, अस्पतालों आदि पर लगे प्रचार-प्रसार सामग्री को अविलंब हटाने का आदेश दिया गया. प्रशासन की निगरानी टीम गठित जिला प्रशासन की ओर से विशेष निगरानी टीमों का गठन किया गया है जो यह सुनिश्चित कर रही हैं कि किसी भी प्रकार की राजनीतिक प्रचार सामग्री सार्वजनिक स्थलों पर न दिखे. जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी पार्टी या प्रत्याशी सरकारी संसाधनों का उपयोग कर प्रचार नहीं कर सकता. इसके तहत दीवार लेखन, बैनर, होर्डिंग, सरकारी गाड़ियों का राजनीतिक उपयोग, नई घोषणाएं या लोकार्पण समारोह आदि पर पूर्ण रोक लग जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिखा असर सिर्फ जिला मुख्यालय ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह कार्रवाई देखने को मिली. प्रशासनिक टीमों द्वारा पंचायत भवनों, स्कूलों और सामुदायिक स्थलों से राजनीतिक पोस्टर हटाए गए. स्थानीय लोगों ने इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों ने कहा कि यह लोकतंत्र की मजबूती का संकेत है कि नियमों को सख्ती से लागू किया जा रहा है, चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने की तैयारी जिला प्रशासन का कहना है कि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी कड़ी में सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे नियमित निरीक्षण करें और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में त्वरित कार्रवाई करें. आने वाले दिनों में सुपौल जिले में चुनावी हलचल और तेज होगी, लेकिन प्रशासन यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि चुनावी आचार संहिता का हर स्तर पर पालन हो और आम मतदाता को निष्पक्ष वातावरण मिले.
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