नौ वर्षों में जर्जर हो गया पोस्टमार्टम हाउस

सदर अस्पताल का आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस, जिस पर सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर अत्याधुनिक भवन बनाने का दावा किया था, आज खुद ही मरम्मत की गुहार लगा रहा है.दीवारें दरक गईं, ग्रिल टूट गई और अंदर-बाहर गंदगी का अंबार लग गया. सवाल उठ रहा है कि आखिर लाखों की लागत से बने इन भवनों की गुणवत्ता पर नजर रखने वाला कौन है.

By DEEPAK MISHRA | November 17, 2025 9:06 PM

प्रतिनिधि,सीवान. सदर अस्पताल का आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस, जिस पर सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर अत्याधुनिक भवन बनाने का दावा किया था, आज खुद ही मरम्मत की गुहार लगा रहा है.दीवारें दरक गईं, ग्रिल टूट गई और अंदर-बाहर गंदगी का अंबार लग गया. सवाल उठ रहा है कि आखिर लाखों की लागत से बने इन भवनों की गुणवत्ता पर नजर रखने वाला कौन है. सदर अस्पताल परिसर के बगल में बने इस अत्याधुनिक पोस्टमार्टम हाउस की हालत निर्माण के कुछ ही वर्षों बाद दयनीय हो चुकी है. विभाग ने लगभग 53 लाख 02 हजार 900 रुपये की लागत से इस भवन का निर्माण कराया था. निर्माण कार्य पूरा होने व कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 2016 में यह भवन औपचारिक रूप से सदर अस्पताल को सौंप दिया गया. लेकिन आज स्थिति यह है कि भवन खुद अपनी मरम्मत की मांग कर रहा है. नौ साल में ही दीवारें दरकने लगीं, ग्रिल जर्जर हो गईं और सीढ़ियों की रेलिंग उखड़ चुकी है. यही नहीं, भवन के मुख्य द्वार पर लगे ग्रिल भी टुट चुका हैं. अंदरूनी दरवाजे बंद नहीं होते, जिससे सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. जब नया पोस्टमार्टम हाउस बनने की बात सामने आई थी तो स्वास्थ्यकर्मियों से लेकर आम लोगों तक को उम्मीद जगी थी कि अब परेशानियों से निजात मिलेगी. खासकर देर शाम तक भी पोस्टमार्टम की सुविधा मिल सकेगी. लेकिन भवन की मौजूदा स्थिति देखकर लगता है कि परेशानी फिर से सिर उठा रही है. गुणवत्ता पर सवालिया निशान: भवन की हालत देखकर निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. अंदर-बाहर की दीवारों पर दरारें साफ दिखती हैं. बारिश के पानी से जम चुकी है, वहीं जगह-जगह जंगली पेड़-पौधे उग आए हैं. लगे मार्बल टूट चुके हैं और आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है. शव लाने के लिए बनाई गई रैंप के पास कूड़ा-कचरा फैला रहता हैै. पहले शेड के नीचे होता था पोस्टमार्टम मालूम हो कि इसके निर्माण से पहले पोस्टमार्टम का काम एक जर्जर एस्बेस्टस शेड में किया जाता था. उसी कमरे में शव सुरक्षित रखने की व्यवस्था भी नहीं थी. गर्मी, बरसात और अंधेरे में यह काम काफी जोखिम भरा और असुविधाजनक साबित होता था. शाम के बाद पोस्टमार्टम करना तो लगभग असंभव हो जाता था. रोशनी के लिए टॉर्च और अस्थायी बल्ब का सहारा लेना पड़ता था. बताया जाता हैं कि पोस्टमार्टम हाउस तो जर्जर है ही साथ ही पोस्टमार्टम हाउस का मुख्य द्वार का गेट टूट जाने के कारण अब वह बिल्कुल असुरक्षित हो चुका हैं. जहां चोर पोस्टमार्टम करने वाले औजार ही चुरा ले जा रहे हैं. बोले प्रबंधक मामला संज्ञान में है,इस संबंध में वरीय पदाधिकारियों से बातचीत कर मरम्मत कराया जायेगा. कमलजीत कुमार,प्रबंधक सदर अस्पताल, सीवान

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