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पुराने दस्तावेजों को खोजने में छूट रहे पसीने

रविवार को मतदाता पुनरीक्षण अभियान के तहत बीएलओ हरेंद्र गिरि एवं सहायक कर्मी हितेश चौबे सिरसांव मठिया एवं कोडारी खुर्द गांव के दर्जनों मतदाताओं का फार्म जमा कराया. इस क्रम में कई मतदाताओं ने कहा कि अपना सत्यापन कराने में तमाम बाधाएं आ रही हैं. पुराने दस्तावेजों को खोजने में पसीने छूट रहे हैं.

By DEEPAK MISHRA | July 6, 2025 9:53 PM
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प्रतिनिधि दरौंदा. रविवार को मतदाता पुनरीक्षण अभियान के तहत बीएलओ हरेंद्र गिरि एवं सहायक कर्मी हितेश चौबे सिरसांव मठिया एवं कोडारी खुर्द गांव के दर्जनों मतदाताओं का फार्म जमा कराया. इस क्रम में कई मतदाताओं ने कहा कि अपना सत्यापन कराने में तमाम बाधाएं आ रही हैं. पुराने दस्तावेजों को खोजने में पसीने छूट रहे हैं. बीएलओ से संबंधित परेशानी का समाधान के लिए सम्पर्क किया जा रहा है, तो वह खुद भी हाथ खड़े कर ले रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को सीधे तौर मान्यता प्रदान करने वाला प्रमाण नहीं माना गया है. इस कारण ही सर्वाधिक परेशानी हो रही है. जिन 11 पहचान पत्रों की मान्यता है, उनमें से कई लोगों के पास यह उपलब्ध नहीं है.आवासीय प्रमाण पत्र एक विकल्प हो सकता है, लेकिन समय सीमा की समस्या आड़े आ रही है. सिरसांव मठिया के उपेंद्र साह,धर्मेंद्र साह, पंकज कुमार, कोडारी खुर्द के मुन्ना साह, संजीव तिवारी, राजीव तिवारी, कुंदन तिवारी ने कहा कि फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई, है. यदि कोई व्यक्ति उस तिथि तक फॉर्म जमा नहीं करता है, तो आवेदक का नाम पहली अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं होगा. दो अगस्त से सत्यापन का काम जोर-शोर से शुरू हो जाएगा. मान्यता के लिए आधार कार्ड को छोड़ देने को बताया गलत अभियान शुरू होने के साथ ही अनेक मतदाताओं के सामने असमंजस की स्थिति उठ खड़ी हुई है. पिपरा मठिया गांव के राजीव कुमार भारती, विनय भारती, पिपरा दरौंदा के तरुण ठाकुर, केटी भरौली के डॉक्टर अमित कुमार आदि ने प्रमाण पत्रों की मान्यता के लिए आधार कार्ड को छोड़ देने का सरासर गलत बताया और कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण के क्रम में घर बंद रहने के साथ ही मृत मतदाता, प्रवासी जन, यात्रा में शामिल जन आदि के भी छूट जाने का भी खतरा मंडरा रहा है. चूंकि बीएलओ इस प्रक्रिया के दौरान तीन बार ही मतदाताओं के घरों का दौरा करेंगे, इसके बाद संकट का समाधान नहीं निकल पाएगा और अंतत: नाम कट जाने का खतरा सामने होगा. बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के लिए आधार और राशन कार्ड को मुख्य दस्तावेज के रूप में अनुमति दी जाए. जिन 11 दस्तावेजों की अनिवार्यता बतायी जा रही है, उन्हें समाप्त किया जाए. वोटर आईडी कार्ड के बाद आधार कार्ड ही सबसे प्रमाणिक दस्तावेज है, जिसे सभी चीजों से लिंक कराया जा रहा है, तो इसे मान्यता नहीं देने का क्या मतलब है.

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