सावन में झमाझम बारिश की जगह चिलचिलाती धूप
मॉनसून की बेरुखी से किसानों की धड़कन बढ़ गई है. बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरे पर अब मायूसी देखने को मिल रही है. करीब 15 दिन से बारिश नहीं होने से धान की फसल पर संकट छा गया है. नहरों में पानी न होने से किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ गईं हैं. धान के खेतों में दरार पड़ गई है.
प्रतिनिधि, गुठनी. मॉनसून की बेरुखी से किसानों की धड़कन बढ़ गई है. बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरे पर अब मायूसी देखने को मिल रही है. करीब 15 दिन से बारिश नहीं होने से धान की फसल पर संकट छा गया है. नहरों में पानी न होने से किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ गईं हैं. धान के खेतों में दरार पड़ गई है. फसल को जिंदा रखने के लिए किसानों को काफी मशक्कत से महंगे दाम पर पंपिंग सेट से काफी मशक्कत कर धान की सिंचाई करनी पड़ रही है.पानी के अभाव में खेतों में दरार फट चुकी है. इससे धान की फसल की उत्पादकता प्रभावित होने की संभावना है. 200 से 250 रुपया प्रति घंटा लगता है चार्ज- निजी बोरिंग वाले प्रति घंटा दो सौ रुपए पटवन मांग रहे हैं. किसानों का कहना है कि नहर में यदि पानी होता तो सिंचाई कर फसलों को जिंदा रखते, लेकिन नहरें भी सूखी हैं. बारिश के बिन हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. पंपिंग सेट से संचाई करने में प्रति घंटा 200 से 250 रुपये प्रति घंटा चार्ज लगता है. 4554 हैक्टेयर में धान रोपनी का है लक्ष्य कृषि विभाग के मुताबिक प्रखंड में इस साल 4554 हैक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य है. बीएओ तारकेश्वर राम ने बताया कि जुलाई के शुरूआत में बारिश का साथ मिला जिसकी वजह से 10 से 12 फीसदी आच्छादन हुआ है.
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