गुरु पूर्णिमा आज, बरसेगी शिष्यों पर कृपा
सनातन धर्म में गुरु का स्थान सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. हिंदू धर्मावलंबियों के लिए गुरु पूर्णिमा का खास महत्व है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह पूर्णिमा गुरुवार को है. परंपरागत रूप से यह दिन गुरु पूजन के लिए समर्पित है. इस दिन शिष्य अपने गुरुजनों की पूजा करते हैं. इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
प्रतिनिधि, सीवान. सनातन धर्म में गुरु का स्थान सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. हिंदू धर्मावलंबियों के लिए गुरु पूर्णिमा का खास महत्व है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह पूर्णिमा गुरुवार को है. परंपरागत रूप से यह दिन गुरु पूजन के लिए समर्पित है. इस दिन शिष्य अपने गुरुजनों की पूजा करते हैं. इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. आषाढ़ पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. पंडित पुरुषोत्तम तिवारी कहते हैं कि हिंदू धर्म में 18 पुराणों की रचना वेद व्यास ने की थी. वहीं वेदों का विभाजन करने का श्रेय भी इन्हीं को प्राप्त है. इनकी जयंती के दिन गुरुओं की पूजा की जाती है. उन्हें सम्मान देकर पुष्प अर्पित किए जाते हैं. इस दिन घर के बड़े बुजुर्गों के भी पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. …… सनातन संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरी परम संत रामनारायण दास कहते हैं कि सनातन संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरी है. भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है. इस दिन इंद्र योग बन रहा है. इंद्र योग सुबह से लेकर रात 9:38 बजे तक रहेगा. उसके बाद से वैधृति योग बनेगा. साथ ही भद्रा का भी असर रहेगा. यह भद्रा पाताल लोक में रहने के कारण इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं गुरुवार और गुरु पूर्णिमा का संयोग अत्यंत दुर्लभ और अत्यधिक शुभ माना जाता है. गुरुवार बृहस्पति ग्रह और विष्णु भगवान को समर्पित दिन होता है. इन शुभ योग में गुरु दीक्षा लेना शुभ फलदायी होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
