Sasaram News : साइंस और कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होने का उठाया मुद्दा

डेहरी शहर का एकमात्र महिला कॉलेज डालमियानगर. नाम से कोई भी असमंजस में पड़ सकता है कि डालमियानगर का कॉलेज डेहरी में कै

By PRABHANJAY KUMAR | July 19, 2025 9:28 PM

डेहरी शहर का एकमात्र महिला कॉलेज डालमियानगर. नाम से कोई भी असमंजस में पड़ सकता है कि डालमियानगर का कॉलेज डेहरी में कैसे? पर, यह सत्य है और यह इसलिए है कि इस कॉलेज की स्थापना डालमियानगर में हुई थी और सरकारी होने पर इसे डेहरी शहर में जगह मिली. चूंकि नाम पहले से चल रहा था, सो नाम में बदलाव नहीं हुआ. और वर्तमान में भी यह महिला कॉलेज डालमियानगर के नाम पर ही चल रहा है. इस कॉलेज में शुक्रवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में शिक्षकों से लेकर छात्राओं व अन्य कर्मचारियों ने अपनी बात खुल कर रखी. किसी ने कॉलेज में साइंस और कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होने का मुद्दा उठाया, तो किसी ने पीजी की पढ़ाई शुरू करने की मांग की. कई छात्राओं ने कॉलेज में कमरों के साथ खेल मैदान का अभाव बताया, तो किसी ने प्राध्यापकों की कमी से पढ़ाई बाधित होने का दर्द साझा किया. शिक्षकों के साथ कमरों का भी अभाव कॉलेज पुराना है. महिलाओं के लिए मात्र एक कॉलेज है. नि:संदेह यहां पढ़ने के लिए छात्राएं लालायित रहती हैं. माहौल भी बढ़िया है, पर सुविधाओं की कमी परेशानी डालती है. वर्तमान में यहां 3300 से अधिक छात्राएं नामांकित हैं और कॉलेज में कमरों की संख्या मात्र 10 है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर एक साथ आधी छात्राएं कॉलेज आ जाएं और एक वर्ग कक्ष की क्षमता 100 की है, तो भी पांच सौ छात्राओं को बैठने की जगह नहीं मिलेगी. यही हाल प्राध्यापकों को लेकर भी है. कॉलेज में सृजित पद 52 है, जिसके विरुद्ध प्राचार्य सहित मात्र 18 प्राध्यापक हैं. यानी 180 से अधिक छात्राओं पर एक प्राध्यापक. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कॉलेज में पढ़ाई की गुणवत्ता रखने में प्राध्यापकों को किसी कठिनाई से गुजरना पड़ता होगा. छात्राओं को बड़ा खेल मैदान नहीं होने का मलाल प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में अधिकांश छात्राओं ने कहा कि हमारे कॉलेज में प्रतिभा वाली खिलाड़ी हैं, पर अभ्यास के लिए मैदान नहीं है. जो, वर्तमान में है, जैसे एथलेटिक्स, बैडमिंटन, खो-खो, कबड्डी खेल की व्यवस्था है. जिसमें कॉलेज की छात्राओं ने 2023 और 2024 में कई स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीत चुकी हैं. अगर हमारे यहां क्रिकेट-फुटबॉल की टीम होती, तो हम भी बिहार और राष्ट्रीय टीम तक पहुंचने की कोशिश करती. पर, अफसोस बड़ा खेल मैदान तो दूर एक इनडोर स्टेडियम तक नहीं है.

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