Sasaram News : हर व्यक्ति के लिए अल्बेंडाजोल की खुराक जरूरी : सीएस

Sasaram News : फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सदर अस्पताल में हुई कार्यशाला

By PANCHDEV KUMAR | March 11, 2025 9:19 PM

सासाराम सदर. सदर अस्पताल स्थित फाइलेरिया कार्यालय में मंगलवार को फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर एमएमडीपी (मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन) कार्यक्रम के तहत एकदिवसीय जिलास्तरीय कार्यशाला आयोजित की गयी. इसका उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ मणिराज रंजन ने फीता काटकर किया. प्रशिक्षण के दौरान सीएस ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है. इसको हाथीपांव के नाम से से भी जाना जाता है. यह बीमारी एक बार हो जाए, तो फिर लाइलाज के बराबर है. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. सतर्कता और सावधानी ही इससे बचाव का एकमात्र उपाय है. इससे बचाव के लिए हर वर्ष अभियान चलाकर डीइसी व अल्बेंडाजोल दवा की खुराक खिलाया जाता है. उन्होंने जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए आम जनों को अल्बेंडाजोल की खुराक खाने की अपील की. सीएस ने कहा कि दवा का सेवन इससे बचाव का एकमात्र विकल्प है. इसमें विभिन्न विभाग के अलावा आम जनों का सहयोग आवश्यक है. सबके सहयोग से हम जिला को फाइलेरिया मुक्त बनाने में कामयाब होंगे. कार्यशाला में पीड़ितों ने बतायी अपनी पीड़ा: कार्यशाला में आये सासाराम के कादिरगंज निवासी 65 वर्षीय फाइलेरिया पीड़ित ललन प्रसाद ने इस बीमारी से खुद में उत्पन्न अपने पीड़ा से सबको अवगत कराया. 40 साल पहले उनकी इस बीमारी से सामना हुई थी. इसके बाद से अब तक इसकी पीड़ा झेल रहे है. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के कारण उन्हें चलने भी काफी परेशानी होती है. वे अपने आसपास के लोगों को इस बीमारी से बचाव करने के तरीके बताते हैं. लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक भी करते हैं, ताकि आने वाले समय में यह पीड़ा दूसरे को न झेलना पड़े. कैसे करें एमएमडीपी किट का इस्तेमाल: सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ राकेश कुमार ने कार्यशाला में शामिल जिला के विभिन्न प्रखंडों के चिकित्सा अधिकारियों को एमएमडीपी कीट की उपयोगिता का जानकारी दी. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया हर स्टेज पर किस तरह का अपना प्रभाव पड़ता है और उसका लक्षण क्या है. इससे क्या दुष्प्रभाव पड़ता है. फाइलेरिया पीड़ित मरीज किस तहत से प्रभावित हिस्सों को देख भाल कर सकते है. एमएमडीपी किट में मौजूद सामान व दवाओं के स्तेमाल की जानकारी देते हुए चिकित्सक ने कहा कि किस तरह से अपने नीचे के कर्मियों को जानकारी देनी है. ताकि वे फाइलेरिया पीड़ितों को सही सुझाव दे सकें. पिरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीडर (संचारी रोग) हेमंत कुमार ने कार्यशाला में शामिल डाटा इंट्री ऑपरेटरों को फाइलेरिया पीड़ित मरीजों की लाइन लिस्टिंग इंट्री करने का तरीका बताया, ताकि जिले के फाइलेरिया मरीजों का सही आंकड़ा प्राप्त किया जा सके. मौके पर एसीएमओ डॉ अशोक कुमार, सीडीओ डॉ राकेश कुमार, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी अमित कुमार, वेक्टर जनित रोगी नियंत्रण पदाधिकारी जयप्रकाश गौतम, रौशन कुमार सिंह, संजीत कुमार, गौरव कुमार आदि मौजूद थे.

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