कलियुग पांच जगह पर वास करता है : जीयर स्वामी

Sasaram News.दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर जीयर स्वामी जी का प्रवचन सुनने के लिए हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है.

By Vikash Kumar | July 2, 2025 9:37 PM

दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर जुटी रही श्रद्धालुओं की भीड़

प्रतिनिधि, सूर्यपुरा

दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर जीयर स्वामी जी का प्रवचन सुनने के लिए हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है. परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर संत श्री त्रिदंड़ी स्वामी जी महाराज के शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कलियुग के बारे में विस्तार से समझाया. स्वामी जी ने कहा सतयुग, त्रेता, द्वापर के बाद जब कलियुग का आगमन हो रहा था. उस समय राजा परीक्षित राजकाज की व्यवस्था देख रहे थे. राजा परीक्षित एक धर्मात्मा राजा थे. जिनके राज्य में पाप नहीं होता था. जिस समय कलयुग का आगमन होने वाला था. तब कलयुग ने राजा परीक्षित से अपने लिए कुछ स्थान की मांग की. कलियुग का आगमन जब हुआ उस समय एक व्यक्ति काला कपड़ा पहने हुए एक गाय और बैल को डंडे से पीट रहा था. उस गाय और बैल के तीन टांग टूटे थे. इसके बाद भी वह आदमी लगातार गाय और बैल को मार रहा था. उसी समय राजा परीक्षित ने उस व्यक्ति से पूछा कि तुम कौन हो और मेरे राज्य में इस तरीके से तुम अत्याचार क्यों कर रहे हो. उस व्यक्ति ने हाथ जोड़कर कहा महाराज मैं कलियुग हूं. मेरा अब आगमन होने वाला है. लेकिन, मुझे रहने के लिए जगह नहीं मिल रही है.कृपया आप बताइए कि हम कहां रहे. राजा परीक्षित उस व्यक्ति को डांट करके भगाने लगे. मेरे राज में इस तरीके से अत्याचार नहीं हो सकता है. यहां से जल्दी भाग जाओ. तब कलियुग ने अपने लिए स्थान की मांग की.

राजा परीक्षित ने कहा ठीक है. तुम्हारे लिए हम स्थान भी बता देते हैं. जिसमें सबसे पहला स्थान वेश्यालय बताया गया यानी कि वैसा स्थान जहां पर गलत आचरण , व्यवहार के साथ जीवन जिया जाता है. वैसे जगह पर कलियुग का वास होता है. कलियुग ने कहा महाराज आपने मुझे जगह तो दे दी लेकिन, यह भी स्थान मेरे लिए सही नहीं है. क्योंकि यहां पर केवल गलत आचरण वाले लोग ही जाते हैं. मुझे कोई दूसरा जगह दीजिए. तब राजा परीक्षित ने मदिरालय दे दिया. मदिरालय का मतलब जहां पर शराब बनाया बेचा जाता हो .इसका सेवन किया जाता है. वैसे जगह स्थान और व्यक्ति के पास कलियुग का वास होता है. कलयुग ने कहा महाराज अपने दो जगह तो मुझे दी, लेकिन दूसरा जगह भी अच्छा नहीं है क्योंकि यहां पर शराब पीने वाले ही लोग जाते हैं. मुझे कोई अच्छा जगह बताइए.उसके बाद भी कलयुग ने कहा कि आपने जो भी स्थान दिया है. वह ऐसा जगह है, जहां पर केवल गलत प्रवृत्ति के लोग ही आते हैं. इसलिए मुझे कोई तीसरा अच्छा स्थान भी दिया जाए. इसके बाद राजा परीक्षित ने कहा ठीक है. तुम वैसे स्थान पर रहना जहां पर जुआ खेला जाता हो. यानी कि तीसरा स्थान जुआ का अड्डा दिया गया. आज जुआ एक ऐसा खेल बन गया है. जो कि इंटरनेट के माध्यम से भी लगातार कई एप्लीकेशन का उपयोग करके खेला जा रहा है. इसके कारण लोग हार का शिकार भी हो रहे हैं. कलियुग का वास वेश्यालय, मदिरालय, जुआलय के बाद भी कलियुग ने कहा यह स्थान भी मेरे लिए पूर्ण रूप से उपयुक्त नहीं है. मुझे कुछ और जगह दिया जाए. इसके बाद राजा परीक्षित ने कलियुग को चौथा स्थान दिया. राजा परीक्षित ने कहा तुम ऐसे स्थान पर वास करना, जहां पर हिंसा होता हो. यानी चौथा स्थान हिंसालय दिया गया.

उसके बाद भी कलयुग ने राजा परीक्षित से कहा कि जो भी आपने चारों स्थान दिया है. वहां पर सारे गलत प्रवृत्ति के लोग ही रहते हैं. इसलिए मुझे कोई अच्छा स्थान भी दिया जाए. इसके बाद राजा परीक्षित ने पांचवा स्थान सोना(स्वर्ण )के रूप में दे दिया. सोना यानी आभूषण गहना इत्यादि में भी कलियुग का वास होता है. इस प्रकार से कलयुग के आगमन के बाद कलियुग का वास इन पांच स्थानों पर हो गया.भारत के महान संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने बताया कि हमारे देश में कई महापुरुष विद्वान हुए हैं.लेकिन, हमारे देश की कई विदुषी महिलाएं हुई .जो अपनी मर्यादा ,आदर्श, धर्म और संस्कारों में रहते हुए देश में अपना नाम रौशन किया हैं. स्वामी जी ने बताया कि एक बार स्वामी विवेकानंद विदेश यात्रा पर गये . वहां उन्होंने देखा कि एक औरत चिलचिलाती धूप में एक कब्र के पास खड़ी होकर पंखा से हवा दे रही है.वह औरत खुद पसीने से भीगी हुई थी. तब विवेकानंद ने सोचा कि हमारे ही देश में महिलाएं विदुषी और वीर नहीं हुई है. बल्कि विदेश में भी महिलाएं है.

विवेकानंद जी सुबह से शाम तक उस औरत को देखते रहे. यही सोचते थे कि यह कैसी औरत है. जो कब्र पर सुबह से शाम तक धूप में खड़ी होकर पंखा से हवा दे रही है. जब उस औरत ने विवेकानंद को देखा तो वह बोली की आपकी वेषश भूषा, रहन-सहन, पहनावा से तो लग रहा है कि आप भारत के हैं. आपके कपड़े से लग रहा है कि आप सन्यासी है. तो भारत में सन्यासी अपनी माता को छोड़कर किसी भी औरत को नहीं देखते है. लेकिन, आप सुबह से शाम तक मुझे देख रहे हैं. तब विवेकानंद ने कहा कि मैं यह देख रहा हूं कि आप कितनी बड़ी पतिव्रता हो जो कि कब्र पर इतनी चिलचिलाती धूप में पंखा दे रही हो. तब उस औरत ने कहा कि हमारे यहां पति के मर जाने के बाद जब तक उसके कब्र का मिट्टी सुख नहीं जाता हैं. तब तक दूसरा विवाह नहीं किया जाता है. अगर कब्र का मिट्टी सूखने से पहले विवाह कर लिया जाए तो फांसी की सजा दी जाती है. धूप से तो यह कब्र की मिट्टी सुख ही रहा है.लेकिन, मैं इतना दिन इंतजार नहीं कर सकती हूं. इसलिए मैं पंखा से हवा दे रही हूं. ताकि यह मिट्टी जल्द से जल्द सुख जाए .मैं दूसरा विवाह कर लूं. यह सुनकर स्वामी विवेकानंद ने कहा कि हमारे देश की औरतें पति के मर जाने के बाद भी जीवन भर मर्यादा में रहते हुए रह जाती है. इसलिए हमारा देश आदर्श, मर्यादा, संस्कार, संस्कृति में सर्वोपरी हैं.

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