बाबा हरिहरनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू

बाबा हरिहरनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अविलंब शुरू होगी. जिला प्रशासन ने इसके लिए कवायत शुरू कर दी है.

By ALOK KUMAR | December 16, 2025 9:13 PM

छपरा. बाबा हरिहरनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अविलंब शुरू होगी. जिला प्रशासन ने इसके लिए कवायत शुरू कर दी है. खुद जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने मंगलवार को सोनपुर अनुमंडल सभागार में बाबा हरिहरनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण योजना से संबंधित चल रहे कार्यों की समीक्षात्मक बैठक भी की. बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी, सोनपुर, भूमि सुधार उप समाहर्ता, सोनपुर, अंचलाधिकारी, सोनपुर, प्रखंड विकास पदाधिकारी, सोनपुर और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चयनित कंसल्टेंट एवं उनकी टीम उपस्थित थी. इससे उम्मीद जगने लगी है कि जल्द ही यह योजना धरातल पर दिखती नजर आयेगी.

पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से दिखायी योजना

बैठक में चयनित कंसल्टेंट द्वारा बाबा हरिहरनाथ कॉरिडोर निर्माण के संबंध में तैयार किये गये प्रस्ताव को पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. इसके अलावा निर्माण कार्य से संबंधित सभी बिंदुओं की जानकारी दी गयी. जिलाधिकारी द्वारा इस संबंध में संबंधित पदाधिकारियों को भू-अर्जन की कार्रवाई प्रारंभ करने एवं चयनित कंसल्टेंट को अन्य आवश्यक निर्देश दिये गये. उन्होंने कहा कि इस कार्य में किसी तरह का कोई विलंब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह होगा निर्माण

जानकारी होगी पूर्व जिलाधिकारी अमन समीर ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर सोनपुर अवस्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर को विकसित करने के लिए प्लान तैयार किया था और मुख्यमंत्री के प्रगति यात्रा के दौरान योजना में शामिल कराया था जिसे स्वीकृति मिल गयी थी. उसके बाद हरिहर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए मुख्य परामर्शी के रूप में एचसीपी डिजाईन प्लानिंग एण्ड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद का मनोनयन किया गया था. निर्माण की जो कल्पना की गयी है वह बिल्कुल काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत होगी और इससे हरिहर क्षेत्र सोनपुर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. हर साल लगने वाले मेले का अस्तित्व और बेहतर हो जायेगा. जानकारी हो कि वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की भांति प्रस्तावित हरिहरनाथ कॉरिडोर निर्माण के लिए तथा रिवर फ्रंट को काली घाट से दीघा पुल तक विकसित किये जाने के लिए पूर्व में संबंधित कंसल्टेंट के साथ स्थलीय निरीक्षण किया गया था.

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