कहीं किल्लत, तो कहीं बर्बाद हो रहा सैकड़ों लीटर पानी

शहर में कई इलाकों में जलापूर्ति में है अनियमितता, कई जगहों पर पाइपलाइन में लीकेज के कारण सड़क पर बह रहा पानी.

By Prabhat Khabar | April 30, 2024 11:00 PM

छपरा. पूरा जिला भीषण गर्मी की चपेट में है. पारा 43 डिग्री के बीच पहुंच गया है. ऐसे में गर्मी का असर जलस्तर पर भी पड़ रहा है. शहर से लेकर गांवों तक में जलस्तर में गिरावट आयी है. जिला प्रशासन द्वारा गर्मी को देखते हुए महत्वपूर्ण गाइडलाइन जारी किया गया है. शहरी क्षेत्र में भी पेयजल उपलब्धता को लेकर एक्शन प्लान बनाया गया है. हालांकि रिहायशी इलाकों में जर्जर पाइपलाइन और बिना टैप वाले नलों के कारण पानी की बर्बादी भी हो रही है. वहीं शहर से लेकर गांव तक ऐसे कई इलाके हैं जहां अभी से ही पेयजल के लिए त्राहिमाम मचा है. डीएम अमन समीर ने एक माह पहले ही खराब चापाकलों की मरम्मत के लिए पीएचइडी विभाग को निर्देशित किया है. नगर निगम द्वारा भी पेयजल आपूर्ति को लेकर शहरी क्षेत्र में शेड्यूल भी निर्धारित किया गया है.

कई इलाकों में बर्बाद हो रहा पानी

एक तरफ पानी की उपलब्धता को लेकर चिंता बनी हुई है. वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र के कई मुहल्लों में पानी की बर्बादी खुलेआम हो रही है. शहर के साहेबगंज रोड में नगर निगम द्वारा राहगीरों के लिए नल लगाया गया है. हालांकि इसका टैप विगत कई दिनों से खराब होने के कारण रोजाना सैकड़ो लीटर पानी बेवजह बर्बाद हो रहा है. शहर के दहियांवा, रामराज चौक, नयी बाजार, जगदम्बा रोड, मोहन नगर मुहल्ले में लगभग एक दर्जन सप्लाइ वाले नलों में टैप नहीं रहने के कारण पानी की सप्लाइ शुरू होते ही घंटों पानी सड़क पर बहते रहता है. स्थानीय लोगों में भी जागरूकता का अभाव होने के कारण पानी की बर्बादी हो रही है.

बाजार से पानी खरीद कर पी रहे लोग

छपरा नगर निगम के सभी वार्डों में अभी पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित नही हो सकी है. जिन इलाकों में पाइपलाइन से सप्लाइ होती है. वहां भी सप्लाइ में अनियमितता है. ऐसे में बाजार में बिकने वाले जार वाले पानी की डिमांड बढ़ गयी है. जो लोगों के बजट पर भी असर डाल रहा है. गत दो वर्षों में छपरा में लगभग दो दर्जन मिनरल वाटर के प्लांट लगाये गये हैं. शहर में सुबह से लेकर शाम तक 100 से अधिक छोटे वाहनों से पानी के जार लोगों के घरों तक पहुंचाये जाते हैं.

अब कुआं से भी नहीं निकल रहा पानी

शहरी क्षेत्र में जलस्तर में आ रही कमी के पीछे कुएं और तालाबों का सूखना भी है. एक दशक पहले तक 40 से 50 फीट में ही चापाकल से पीने लायक पानी निकल जाता था. अब 150 फीट गहरा पाइप डालने के बाद भी साफ पानी नही निकल रहा है. कई इलाकों में वर्षों पुराने कुएं सूख चुके हैं. इनके मेंटेनेंस व साफ-सफाई पर ध्यान नही दिये जाने के कारण अब आसपास को लोग कुओं में कचड़ा फेंकने लगे हैं. पहले अधिकतर मुहल्लों में एक-दो कुआं दिख जाता था. कुएं में पानी रहने से आसपास पानी का लेयर भी अच्छा रहता था. तेजी से हो रहे निर्माण और शहर के बढ़ते दायरे के बीच कुओं के मेंटेनेंस पर किसी का ध्यान नही गया.

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