Samastipur News:फॉगिंग के धुएं में उड़ रहे हजारों रुपये, बढ़ रहा मच्छरों का आतंक

शहर में बढ़ते मच्छरों के प्रकोप को रोकने के लिए इस बार फॉगिंग के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. इस कारण शहर में मच्छर जनित बीमारियां फैलने की प्रबल संभवना बनी हुई हैं.

By KRISHAN MOHAN PATHAK | November 8, 2025 6:54 PM

Samastipur News: समस्तीपुर : शहर में बढ़ते मच्छरों के प्रकोप को रोकने के लिए इस बार फॉगिंग के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. इस कारण शहर में मच्छर जनित बीमारियां फैलने की प्रबल संभवना बनी हुई हैं. वर्तमान में मच्छरों पनपने का पीक समय चल रहा है. शहर के प्रत्येक गली, मोहल्लों के अलावा बाजारों में मच्छरों का प्रकोप हद से अधिक बना हुआ है. अब तो शहर में हालात यह बने हुए हैं कि घरों, कार्यालयों एवं प्रतिष्ठानों पर मच्छर लोगों को दिन भी डंक मार रहे हैं. संक्रामक बीमारी फैलने का अंदेशा बना हुआ है. बता दें कि अक्टूबर से नवंबर के बीच ही मच्छर जनित डेंगू, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां फैलने की अधिक संभावना रहती है. इस प्रकोप से बचाने में फॉगिंग कुछ हद तक सहायक साबित होता है. लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि फॉगिंग में भी नगर निगम लापरवाही बरत रहा है. जानकार बताते हैं कि मच्छरों को भगाने के लिए पाइरेथ्रॉइड या मैलाथियान जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन नगर निगम प्रशासन डीजल में कुछ बूंद रसायनों को मिला कर खानापूर्ति कर रही है. इसकी जांच-पड़ताल होनी चाहिए. यही वजह है कि फॉगिंग के बाद भी मच्छरों की आबादी बढ़ती ही जा रही है. सिर्फ मच्छरों से लड़ने के लिए नगर निगम प्रत्येक साल लाखों रुपए का बजट तैयार करता है. मच्छर तो नहीं भागते, लेकिन फॉगिंग के धुएं में बजट की राशि जरुर उड़ जाते हैं. डा. ललित कुमार घोष बताते हैं कि नगर निगम की कार्यशैली ही अजीब है. पहले तो निगम नियमित फॉगिंग नहीं कराता. यदि किसी इलाके में फॉगिंग करा भी दिया जाए तो वहां मच्छर जस के तस बने रहते हैं. इसके पीछे केमिकल की मात्रा कम होना एक बड़ी वजह तो है ही, साथ ही फॉगिंग में सिर्फ हवा में उड़ते मच्छरों पर ही असर होता है. लार्वा जस के तस रह जाते हैं. फॉगिंग से केवल वयस्क मच्छरों कुछ समय के लिए निष्क्रिय किया जाता है. यह विधि लार्वा पर असर नहीं करती है. लार्वा को मारने के लिए एंटी-लार्वा कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए, जो नगर निगम की ओर से नहीं किया जाता है. मच्छरों ने आमजन की जेब पर डंक मार दिया है. हर महीने का बजट गड़बड़ा गया है. शहरवासी रोजाना मच्छरनाशक अगरबत्ती, क्वायल, लिक्विड, लोशन पर हजारों रुपए खर्च कर रहे हैं.

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