Samastipur : छात्रों के पास एनसीईआरटी की नकली किताबें, भविष्य दांव पर
एनसीइआरटी की नकली किताबें पकड़े जाने के बाद से अभिभावक व छात्र चिन्तित हैं.
समस्तीपुर . एनसीइआरटी की नकली किताबें पकड़े जाने के बाद से अभिभावक व छात्र चिन्तित हैं. एनसीईआरटी की किताबें स्कूलों का आधार हैं. यदि ऐसे नकली संस्करण छात्रों तक पहुंचते हैं तो यह सीधे उनकी पढ़ाई, समझ और मूल्यांकन को प्रभावित करता है. इससे न सिर्फ बच्चों का भविष्य दांव पर है, बल्कि शिक्षा तंत्र की साख भी गंभीर संकट में है. उमा और आरती दोनों छठवीं कक्षा में पढ़ती है. उनके स्कूल की केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्धता है. दोनों के पास राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की गणित की किताब है. मगर किताबों में जमीन-आसमान का अंतर है. उमा के पास जो किताब है, उसके पन्ने चमकदार हैं. कवर पर सामने और पीछे सुंदर प्रिंट है. कंटेंट साफ-सुथरा और पूरा छपा हुआ है. दूसरी ओर आरती की किताब के पन्ने बेहद पतले हैं और प्रिंटिंग भी खराब है. पीछे के कवर का कंटेंट पूरी तरह गायब है. खास बात ये है कि दोनों किताबों की कीमत एक ही है. आखिर उसी कीमत में एक किताब की क्वालिटी अच्छी और दूसरी की घटिया कैसे? दरअसल, उमा की किताब असली है यानी एनसीईआरटी ने इसे छापा है. आरती की किताब नकली है, ये ओरिजिनल किताब के कंटेंट को कॉपी कर घटिया पन्नों पर छापी गई है. कमीशन के खेल में साख बट्टा किताब दुकानदार विवेक रंजन बताते हैं कि असली किताब की कागज 58 जीएसएम है और नकली 52. इसी तरह असली किताब के उपर मेपलिथो पेपर लगाया गया है. नकली पर रील पेपर है. शहर के विभिन्न भागों में भी कुछ किताब दुकानदार नकली किताबें बेच रहे थे लेकिन मुजफ्फरपुर में हुई कार्रवाई के बाद से सतर्क हो गये है. एनसीईआरटी की किताबों के एक होलसेलर ने बताया कि बाजार में नकली किताबों को बेचने पर मोटा कमीशन मिलता है. सरकारी सप्लायर से मिलने वाला मार्जिन केवल 10 से 12 फीसदी होता है. जबकि नकली किताबें बेचने पर कमीशन 28 से 30 फीसदी तक पहुंच जाता है. अधिवक्ता रजनी रंजन ने बताया कि कॉपीराइट एक्ट 1957 के सेक्शन 51 और 63 में प्रावधान है कि अधिकृत या एनसीईआरटी जैसे जो प्रकाशक हैं, इनकी किताबों की नकली कॉपी बाजार में नहीं आ सकती. अगर ऐसा होता है तो ये कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन है. इसमें दो लाख तक का फाइन और तीन साल की सजा हो सकती है. एनसीईआरटी की इक्का-दुक्का किताबें ही लिस्ट में शामिल सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाने के इस निर्देश का पालन पूरी तरह से नहीं होता है और न इसकी जांच की जाती है. सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएटेड अधिकांश स्कूलों की किताबों की लिस्ट देखी. एनसीईआरटी की इक्का-दुक्का किताबें ही इस लिस्ट में शामिल हैं, बाकी सारी किताबें प्राइवेट पब्लिशर्स की हैं. इनसेट:::::::::::::: असली और नकली किताब को ऐसे पहचाने वाटरमार्क से जांच- एनसीईआरटी की असली किताबों में हर दूसरे पेज पर NCERT का हल्का वाटरमार्क होता है. किताब खरीदते वक्त लगातार 10 पन्ने पलटकर देखें, अगर यह वाटरमार्क नहीं है, तो ये नकली किताब है. कागज और प्रिंट की गुणवत्ता : असली किताबों का कागज मोटा, सफेद और उच्च गुणवत्ता का होता है. नकली किताबों में कागज पतला, धुंधला या पीला हो सकता है. प्रिंटिंग में अक्षर फीके रहते हैं. चित्र और ग्राफिक्स की स्पष्टता : एनसीईआरटी की किताबों में दिये गये चार्ट, चित्र और ग्राफिक्स बहुत स्पष्ट और रंगीन होते हैं. नकली किताबों में ये धुंधले या ब्लर हो सकते हैं. असली किताबों की बाइंडिंग मजबूत और सटीक होती है. कीमत और छपाई की जानकारी : असली किताब के पीछे मूल्य, संस्करण, ISBN नंबर, प्रकाशन वर्ष और प्रकाशक (NCERT) की पूरी जानकारी होती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
