Samastipur News:कबीर ने हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठकर संपूर्ण मानवता के लिए एक समान संदेश दिया
रामजीवन साहेब की 49 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को स्थानीय एसकेआरएमएन महिला कॉलेज प्रांगण में दो दिवसीय आचार्य रामजीवन निर्वाण महोत्सव का शुभारंभ हुआ.
Samastipur News:रोसड़ा : संत कबीर वचन वंश परंपरा के सातवें आचार्य महंत रामजीवन साहेब की 49 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को स्थानीय एसकेआरएमएन महिला कॉलेज प्रांगण में दो दिवसीय आचार्य रामजीवन निर्वाण महोत्सव का शुभारंभ हुआ. उद्घाटन महंत राम साहेब ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर देश-विदेश से आये संत, महंत, कबीरपंथी, श्रद्धालु व समाजसेवी उपस्थित हुए. कार्यक्रम की शुरुआत कबीर भजन से हुई. जिसके माध्यम से अतिथियों का स्वागत किया गया. मंच संचालन देव नारायण यादव ने किया. जबकि स्वागत एवं व्यवस्था का कार्य संत कबीर आश्रम रोसड़ा के महंत डॉ विद्यानंद शास्त्री के निर्देशन में हुआ. मुख्य वक्ता महंत रमेश साहब (वैशाली) ने अपने प्रवचन में कहा कि सद्गुरु कबीर ने सच्चे मानव धर्म का प्रवर्तन किया.
रोसड़ा में दो दिवसीय 49वां आचार्य रामजीवन निर्वाण महोत्सव आरंभ
उन्होंने बताया कि मनुष्य को अपने भीतर झांकने की आवश्यकता है, क्योंकि सत्संग व विवेक ही जीवन की दो आंखें हैं. उन्होंने कहा कि कबीर ने हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठकर संपूर्ण मानवता के लिए एक समान धर्म का संदेश दिया. नेपाल के महंत सत्यनारायण साहब (हरिनगर) ने कहा कि कबीर मजहबी मतभेदों के सख्त विरोधी थे. उनके उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य आचार्य रामजीवन साहेब ने अपने जीवन में किया. वे कबीर के विचारों को जनआंदोलन में बदलने वाले संत थे. जिन्होंने भक्ति व सेवा को जीवन का मूल मंत्र माना. आचार्य डॉ विद्यानंद शास्त्री जो वर्तमान में वचनवंश परंपरा के आचार्य हैं ने बताया कि यह आयोजन महंत रामजीवन साहेब के प्रति श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि आचार्य रामजीवन ने रोसड़ा को कबीर तीर्थ के रूप में देश-विदेश में प्रतिष्ठित किया. उनके प्रयासों से वचनवंश परंपरा का विस्तार भारत के साथ नेपाल व भूटान तक हुआ. वर्तमान में यह चिंतन अमेरिका तक फैल चुका है. उन्होंने कहा कि सद्गुरु कबीर ने कहा था कि मनुष्य का सिर गुरु के चरणों में झुकना चाहिए, परंतु आज का मनुष्य भौतिकता में खो गया है एवं अपने भीतर के सत्य से दूर हो रहा है. कबीर की वाणी आज भी मनुष्य को विवेक व आत्मबोध की राह दिखाती है. महोत्सव के दौरान उपस्थित संतों ने भजन, प्रवचन व कबीर विचारों पर चिंतन प्रस्तुत किया. हजारों की संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु उपस्थित होकर कबीर वाणी व गुरु परंपरा के संदेश को आत्मसात करते रहे. मंच पर प्रमुख रूप से महंत स्वरूपानंद साहब, रतन बिहारी, सत्येंद्र कुमार नायक, हेमंत कुमार, विवेक कुमार, सतीश कुमार, अंकित कुमार, राम उदित कुमार सहित कई श्रद्धालु उपस्थित थे.
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