किलकारी के दो होनहार प्रतिभागियों ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में लहराया परचम
शिक्षा विभाग द्वारा स्थापित बिहार बाल भवन किलकारी ने एक बार फिर अपने उत्कृष्ट प्रशिक्षण एवं बाल प्रतिभाओं को संवर्धित करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण प्रस्तुत किया है.
कराटे विधा के विनायक कुमार गुप्ता व शतरंज विधा की जिया सिंह का राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चयन
सहरसा. शिक्षा विभाग द्वारा स्थापित बिहार बाल भवन किलकारी ने एक बार फिर अपने उत्कृष्ट प्रशिक्षण एवं बाल प्रतिभाओं को संवर्धित करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण प्रस्तुत किया है. संस्थान के दो होनहार प्रतिभागियों कराटे विधा के विनायक कुमार गुप्ता एवं शतरंज विधा की जिया सिंह ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अपने असाधारण प्रदर्शन के दम पर एसजीएफआई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त कर जिले एवं संस्थान का गौरव बढ़ाया है. दोनों छात्र-छात्राएं अत्यंत मध्यम एवं साधारण परिवार से आते हैं. जहां आर्थिक चुनौतियों के बावजूद उनके सपने कभी छोटे नहीं हुए. सीमित संसाधनों के बीच आगे बढ़ने का उनका जज्बा प्रशंसनीय है. इन्हें किलकारी ने सही दिशा एवं बेहतरीन प्रशिक्षण ही उपलब्ध नहीं कराया, बल्कि मानसिक प्रोत्साहन, शिक्षा-सुरक्षा का वातावरण एवं खेल-संबंधी सुविधाएं भी प्रदान की. जिससे दोनों की प्रतिभा और निखर सकी. विनायक कुमार गुप्ता अंडर 17 में 35 किलो में जिला, प्रमंडल एवं राज्य स्तर में बेहतर प्रदर्शन करते नेशनल में अपनी जगह सुनिश्चित की.वहीं दूसरी ओर जिया सिंह ने शतरंज में अंडर 17 में जिला, प्रमंडल एवं राज्य स्तर में बेहतर प्रदर्शन करते नेशनल में अपनी जगह सुनिश्चित की. कराटे में चयनित विनायक कुमार गुप्ता को प्रशिक्षक राम कुमार का विशेष मार्गदर्शन मिला. राम कुमार ने बताया कि विनायक का अनुशासन, प्रतिदिन का कठोर अभ्यास एवं सीखने की अथाह इच्छा ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है. इसी प्रकार चेस में चयनित जिया सिंह को प्रशिक्षिका प्रेरणा कुमारी ने उत्कृष्ट प्रशिक्षण दिया. प्रेरणा कुमारी के अनुसार जिया की रणनीतिक सोच, शांत स्वभाव, दबाव में भी संतुलन बनाकर निर्णय लेने की क्षमता ने उसे राज्य स्तर पर मजबूत प्रतियोगी बनाया एवं राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया. इस मौके पर किलकारी के प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक प्रणव भारती ने किलकारी के कराटे प्रशिक्षक राम कुमार एवं चेस प्रशिक्षिका प्रेरणा कुमारी की प्रशंसा करते कहा कि यह उपलब्धि ना केवल बच्चों के व्यक्तिगत प्रयास का परिणाम है, बल्कि प्रशिक्षकों, माता-पिता एवं संस्थान के सहयोग की भी सफलता है.
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