रेडीमेड कपड़े ने तोड़ दी दर्जी की कमर
रेडीमेड कपड़े ने तोड़ दी दर्जी की कमर
रेडीमेड कपड़े के प्रचलन से टेलर मास्टर का रोजगार हो रहा प्रभावित सौरबाजार . नयी पीढ़ी के लोगों में रेडिमेड कपड़े का प्रचलन पूरी तरह बढ़ गया है. बच्चे, बूढ़े और युवा सभी ने वर्तमान समय में रेडिमेड कपड़े का उपयोग करना शुरू कर दिया है. चाहे गर्म कपड़े हो या सूती, सभी रेडिमेड की दुनिया में दौड़ लगा रहे हैं. जिसके कारण टेलर मास्टर और वस्त्र भंडार जैसे दुकानदारों के सामने समस्या उत्पन्न हो गयी है. टेलर मास्टर और दर्जी लोगों को अब यह रोजगार छोड़कर दूसरे काम की ओर रूख करना पड़ रहा है. पूर्व में जो लोग पैंट-शर्ट, कुर्ता-पायजामा जैसे पोशाक वस्त्रालय से कपड़ा खरीदकर टेलर मास्टर के पास दर्जी से सिलवाकर पहनते थे. वे लोग अब रेडीमेड जिंस पैंट, शर्ट और कुर्ता पायजामा खरीदकर पहन रहे हैं. जिसके कारण कई टेलर बंद हो चुके हैं और कई टेलर मास्टर की दुकानें बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी है. सौरबाजार में दर्जी का काम कर रहे शत्रुधन राम ने बताया कि पहले काफी कपड़ा आता था. दिन रात मेहनत करते थे और परिवार का भरण पोषण अच्छा से चल जाता था. लेकिन अब कभी कभार कोई कपड़ा लेकर सिलवाने आता है. जिसके कारण अब इस धंधा से काम नहीं चल रहा है. परिवार के भरण पोषण के लिए इसके अतिरिक्त अन्य दूसरा काम भी करना पड़ रहा है. बैजनाथपुर चौक पर टेलर की दुकान चलाने वाले चंदन कुमार ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि पूर्व के समय में दुर्गा पूजा, दीपावली, छठ और ईद जैसे पर्व में कपड़ों का अंबार लग जाता था . शादी ब्याह में लगन के समय में लड़का पक्ष शौक से कपड़ा खरीदकर कोट -पैंट, थ्री पिस और सफारी सिलवाते थे. जिसके लिए अलग से भी कारीगर रखना पड़ता था. लेकिन अब इन सब पर्व में भी स्थिति सामान्य से कम ही रहता है. ऐसे पर्व त्योहारों और आयोजनों में लोग रेडीमेड कपड़े का उपयोग कर रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
