सदर अस्पताल में अब हड्डी रोग से जुड़े गंभीर मामलों का उन्नत और आंतरिक उपचार संभव

सदर अस्पताल में अब हड्डी रोग से जुड़े गंभीर मामलों का उन्नत और आंतरिक उपचार संभव

By Dipankar Shriwastaw | December 26, 2025 6:08 PM

करोड़ों रुपये की लागत से स्थापित अत्याधुनिक सी-आर्म मशीन का हुआ सफल परीक्षण सी-आर्म के साथ बंद पड़ा मॉड्यूलर ओटी भी हुआ शुरू सहरसा. मॉडल सदर अस्पताल के स्वास्थ्य सेवाओं के इतिहास में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ गयी. लंबे समय से बंद पड़े मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर में करोड़ों रुपये की लागत से स्थापित अत्याधुनिक सी-आर्म मशीन का सफल परीक्षण कर औपचारिक शुभारंभ किया गया. इसके साथ ही सदर अस्पताल में अब हड्डी रोग से जुड़े गंभीर मामलों का उन्नत और आंतरिक उपचार संभव हो सका है. वहीं शुभारंभ के मौके पर सदर अस्पताल में पदस्थापित आर्थोपेडिक चिकित्सक डॉ राजेश कुमार रंजन ने एनेस्थेटिक विशेषज्ञ डॉ ओम प्रकाश के सहयोग से अस्पताल में भर्ती एक मरीज के टूटे हुए हाथ की हड्डी का सी-आर्म मशीन की मदद से सफल ऑपरेशन किया. ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा, जिससे चिकित्सकीय टीम और अस्पताल प्रबंधन में उत्साह का माहौल देखा गया. हड्डी टूटने के इलाज में बेहद कारगर है मशीन चिकित्सकों के अनुसार सी-आर्म मशीन हड्डी टूटने के इलाज में बेहद कारगर है. इसकी सहायता से कम से कम चीरा लगाकर हड्डी को सही स्थिति में जोड़ा जा सकता है. ऑपरेशन के दौरान रियल टाइम एक्स-रे इमेजिंग मिलने से प्लेट, स्क्रू और रॉड लगाने में सटीकता बढ़ जाती है. इससे न केवल ऑपरेशन सुरक्षित होता है, बल्कि मरीज की रिकवरी भी पहले की तुलना में तेजी से होती है. विशेषज्ञों ने इसे हड्डी रोग से पीड़ित मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं बताया. सी-आर्म के साथ बंद पड़ा मॉड्यूलर ओटी हुआ शुरू बताया गया कि मॉडल सदर अस्पताल को मिली यह सी-आर्म मशीन प्रमंडल स्तर के किसी भी बड़े अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में भी फिलहाल उपलब्ध नहीं है. इससे सहरसा सदर अस्पताल की पहचान एक उन्नत चिकित्सा केंद्र के रूप में और मजबूत हुई है. मालूम हो कि इससे पहले सदर अस्पताल में केवल दो ही ओटी संचालित थे. इनमें एक सामान्य शल्य चिकित्सा के लिए तथा दूसरा एमसीएच अस्पताल में प्रसव से संबंधित मामलों के लिए उपयोग में लाया जा रहा था. अस्पताल परिसर में मौजूद दो बड़े मॉड्यूलर ओटी संसाधन और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी के कारण लंबे समय से बंद पड़े थे. जिसे शुक्रवार को बंद पड़े मॉड्यूलर ओटी में से एक को हड्डी रोगियों के लिए अत्याधुनिक मशीनों से लैस कर शुरू कर दिया गया. हालांकि अभी भी अस्पताल में कुछ छोटे आवश्यक इंस्ट्रूमेंट और प्रशिक्षित तकनीकी कर्मियों की कमी बतायी जा रही है. लेकिन प्रबंधन का दावा है कि इसे भी जल्द दूर कर लिया जायेगा. इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ रतन कुमार झा, प्रभारी अधीक्षक डॉ एसएस मेहता, सर्जन डॉ एनके सादा, अस्पताल प्रबंधक सिंपी कुमारी सहित बड़ी संख्या में चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और स्टाफ नर्स मौजूद थे. रीयल-टाइम में हड्डी की सही पोजिशन देख सकता है सी-आर्म मशीन हड्डी के ऑपरेशन में आधुनिक तकनीक सी-आर्म का उपयोग आज के समय में बेहद अहम हो गया है. ऑर्थोपेडिक सर्जरी के दौरान सी-आर्म एक चलित एक्स-रे मशीन की तरह काम करता है. जिससे डॉक्टरों को ऑपरेशन के समय ही हड्डी की स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. इसका आकार अंग्रेजी के ‘सी’ अक्षर जैसा होता है. इसी कारण इसे सी-आर्म कहा जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार हड्डी टूटने, प्लेट-स्क्रू लगाने, रॉड या नेल डालने जैसी सर्जरी में सी-आर्म की मदद से डॉक्टर रीयल-टाइम में हड्डी की सही पोजिशन देख सकते हैं. इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि प्लेट या स्क्रू सही दिशा और गहराई में लगाये गये हैं. सी-आर्म के उपयोग से ऑपरेशन में सटीकता बढ़ती है और दोबारा सर्जरी की संभावना काफी कम हो जाती है. सी-आर्म की मदद से छोटे चीरे के माध्यम से भी सर्जरी संभव हो पाती है. जिससे मरीज को कम दर्द होता है और रिकवरी भी तेजी से होती है. रीढ़ की हड्डी, कूल्हा और घुटने की सर्जरी में भी इसका व्यापक उपयोग किया जा रहा है. कुल मिलाकर सी-आर्म ने हड्डी के ऑपरेशन को अधिक सुरक्षित, आसान और प्रभावी बना दिया है. अब तक सदर अस्पताल में हड्डी टूटने के मामलों में आंतरिक इलाज संभव नहीं था. जिसके कारण मरीजों को बाहर के निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था. लेकिन सी-आर्म मशीन की शुरुआत के साथ अब यहां इंटरनल फिक्सेशन सहित आधुनिक इलाज उपलब्ध हो गया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल आने वाले गरीब और जरूरतमंद मरीजों का इलाज यहीं हो सके, इसके लिए विभाग लगातार प्रयासरत है. कर्मियों की कमी को लेकर भी उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है और शीघ्र ही इसकी भरपाई कर ली जायेगी. सी-आर्म मशीन की शुरुआत से न केवल मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं को भी नयी दिशा मिलेगी.डॉ रतन कुमार झा, सिविल सर्जन

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