सभ्य, सुसंस्कृत और समाज सेवी हो जन प्रतिनिधि
सभ्य, सुसंस्कृत और समाज सेवी हो जन प्रतिनिधि फोटो – 05कैप्सन- फाइल फोटोप्रतिनिधि, सुपौल समय बदला, परिस्थितियां बदलीं. विकास के इस दौर में नये- नये आयाम गढ़े जा रहे हैं. वो जमाना बदल गया, जब चौक-चौराहों, चाय- पान की दुकानों सहित अन्य स्रोतों से ठेकेदारों द्वारा वोट की गारंटी दी जाती थी. साथ ही प्रत्याशी […]
सभ्य, सुसंस्कृत और समाज सेवी हो जन प्रतिनिधि फोटो – 05कैप्सन- फाइल फोटोप्रतिनिधि, सुपौल समय बदला, परिस्थितियां बदलीं. विकास के इस दौर में नये- नये आयाम गढ़े जा रहे हैं. वो जमाना बदल गया, जब चौक-चौराहों, चाय- पान की दुकानों सहित अन्य स्रोतों से ठेकेदारों द्वारा वोट की गारंटी दी जाती थी. साथ ही प्रत्याशी जीत भी जाते थे. आधुनिक तंत्र जितना विकसित किया गया है, उससे कहीं ज्यादा लोगों की सोच में बदलाव आ चुका है. भले ही लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि की योग्यता को गौण रखा गया है, लेकिन उनकी कार्यशैली समाजहित में होनी जरूरी है. चुनाव की सरगरमी जोरों पर है. जनसमस्याओं को लेकर मतदाताओं में उहापोह की स्थिति है. जिस प्रकार लोकतंत्र में मतदाताओं का विशेष महत्व रहा है. इसी तरह सरकार के गठन में जनप्रतिनिधि की भूमिका सर्वोपरि रही है. चुनाव के मुद्दे पर बहुतेरे मतदाताओं ने अपने अपने मुद्दों के आधार पर अलग-अलग विचार पाल रखे हैं. ऐसे में उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षकों से रायशुमारी की गयी. प्रो इदुज्जमा का कहना है कि ढाई दशक पूर्व सुपौल को जिला बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. बावजूद इसके अब तक जनप्रतिनिधियों द्वारा छात्राओं की उच्च शिक्षा के मद्देनजर महिला महाविद्यालय की दिशा में किसी प्रकार की पहल नहीं की गयी. प्रो मृत्युंजय कुमार ने कहा कि मतदाताओं को लोकतंत्र की रीढ़ माना जाता है. पर, जन प्रतिनिधियों द्वारा अब तक नैतिक शिक्षा विषय पर किसी प्रकार की पहल नहीं की गयी है. इस कारण मानवता का ह्रास हो रहा है. प्रो गगन देव सिंह ने बताया कि आज के जन प्रतिनिधियों द्वारा जातिवाद का उन्माद फैला कर वोटरों को आकर्षित किया जाता है, जो लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध हो सकता है. प्रो सतीश कुमार सिंह का मानना है कि जनप्रतिनिधि ऐसा हो जो समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चले, ताकि समाज में जो विषमता की स्थिति पनप रही है, इससे मुक्ति मिल सके. प्रो अभय कुमार सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधियों ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिससे मतदाता अपने आपको उपेक्षित महसूस ना करें. प्रो दिलीप कुमार सिंह का मानना है कि जनप्रतिनिधियों को स्थानीय समस्या पर तरजीह देनी चाहिए, ताकि समाज में सद्भावना का माहौल उत्पन्न हो सके. प्रो अनिल कुमार सिंह ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की जुबान ही उसके व्यक्तित्व का परिचय देती है. जनप्रतिनिधियों को कभी भी तुष्टिकरण की राजनीति करना शोभा नहीं देता. प्रो अजय कुमार वर्मा ने कहा कि जनप्रतिनिधि को सभ्य व परिष्कृत भाषा का प्रयोग करना चाहिए.
