RJD के ‘हार की फाइल’ खुली! या दबा ही रह जाएगा सच? आंतरिक रिपोर्टें धूल फांक रहीं, समीक्षा बैठक पर उठे सवाल
RJD: राजद को विधानसभा चुनाव 2025 में मिली करारी शिकस्त मिली है. अब वो इस हार की असली वजहें खोजने में लगी है.
RJD: राजद को विधानसभा चुनाव 2025 में मिली करारी शिकस्त मिली है. अब वो इस हार की असली वजहें खोजने में लगी है. इसके लिए पार्टी जातीय और सामाजिक वोटिंग का पूरा डेटा खंगाल रही है. 143 प्रत्याशियों से बात कर रही है. कौन-सी जाति साथ आई, कौन दूर गई, किसने भीतरघात किया, किसने सहयोग से पीछे रखे हाथ! इसकी इसकी पूरी फाइल तैयार की जा रही है. मगर दिलचस्प बात ये है कि भीतर इस समीक्षा को लेकर खुद पार्टी के नेता ही आश्वस्त नहीं हैं. अब उन्हें लग रहा है “मंथन जितना भी हो, नतीजा वही ढाक के तीन पात” रहने वाला है.
नई समीक्षा पर भी संदेह
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है. पार्टी से नाराज नेताओं ने बड़ा खुलासा किया है कि लोकसभा चुनाव के बाद राजद नेताओं ने एक विस्तृत समीक्षा रिपोर्ट तैयार की थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि पार्टी लगभग 60 विधानसभा सीटों पर ठीक-ठाक स्थिति में है, लेकिन 2020 के मुकाबले शक्ति घट चुकी थी. मगर इस रिपोर्ट को दराज में बंद कर दिया गया. अब ताजे हार के बाद जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की जा रही है. यानी 26 नवंबर से 4 दिसंबर तक प्रमंडल के अनुसार समीक्षा की जा रही है.
पुरानी रिपोर्ट दराज में बंद
पिछली रिपोर्ट में ये भी साफ था कि दोनों कोर वोट बैंक में बिखराव आया है. मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. कुछ बड़े क्षेत्रों में आरजेडी का संगठन कमजोर हो गया है. मगर इस जानकारी को भी तवज्जो नहीं दी गई. इतना ही नहीं कई स्थानीय नेताओं ने भी ग्राउंड इनपुट छुपाया. मगर चौंकाने वाली बात यह है कि वो रिपोर्ट आज भी पार्टी दफ्तर के किसी दराज में बंद पड़ी है. शायद आरजेडी ने इन रिपोर्ट पर काम किया होता तो शायद इतनी बड़ी हार न होती.
समीक्षा का क्या होगा नतीजा?
प्रभात खबर के पॉलिटिकल ब्यूरो के सीनियर पत्रकार राजदेव पांडेय कहते है कि समय रहते पार्टी की ओर से इन रिपोर्टों पर काम किया जाता तो शायद पार्टी को इतनी बड़ी हार नहीं झेलनी पड़ती. पार्टी बिहार में अपने विपक्ष का चेहरा बचाने के लायक भी न रहती. अब इस जबरदस्त हार के बाद 26 नवंबर से आरजेडी की समीक्षा बैठक चल रही है, जो 4 दिसंबर तक चलेगी.
अंदर खाने में अभी अंधेरा बहुत है जनाब!
आरजेडी की हार के पीछे केवल एक वजह नहीं है. दरअसल, आरजेडी की जबरदस्त हार के पीछे केवल ‘अंधेरा’ जिम्मेदार नहीं है. पूरी की पूरी कोठरी ही ‘काली’ है. कोई भी नेता असली वजह शीर्ष नेतृत्व तक नहीं पहुंचा रहा है. तेजस्वी यादव और लालू यादव के करीबी नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाना ‘नामुमकिन’ जैसा ही है. ऐसे में नई रिपोर्ट में वो सब लिखा जाएगा, जो पार्टी को अंदर से खोखला करने वाला होगा. यानी हार का “महामंथन” तो जारी है, मगर निष्कर्ष आने की उम्मीद बेहद कम.
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‘समीक्षा नहीं, साहस चाहिए’
अब पार्टी की नई समीक्षा बैठक में भी वही होता नजर आ रहा है, जो साल 2024 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद हुआ था. पार्टी के भीतर पुराने और कर्मठ राजद कार्यकर्ताओं में असंतोष है. ये अलग बात है कि ये असंतोष उनके मन में ही है. लेकिन दिल में यही बात गूंज रही है कि ‘अब समीक्षा नहीं, साहस चाहिए, वर्ना 2020, 2024, 2025 जैसी हारें दोहराते रहिए’. और ये बात हम नहीं कह रहे, आरजेडी के कर्मठ कार्यकर्ताओं और लालू समर्थकों का कहना है.
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