बिहार में 300 साल पुराने दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन करायेगा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, एजेंसी पर निर्णय जल्द

राजस्व और भूमि से जुड़े आज से तीन सौ साल पुराने दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन काम जिला स्तर पर होगा अथवा राज्य स्तर पर किया जाये, इसको लेकर सरकार के स्तर पर मंथन किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar | April 15, 2021 6:51 AM

पटना. राजस्व और भूमि से जुड़े आज से तीन सौ साल पुराने दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन काम जिला स्तर पर होगा अथवा राज्य स्तर पर किया जाये, इसको लेकर सरकार के स्तर पर मंथन किया जा रहा है.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस मसले पर भी विचार किया है कि सभी अति महत्वपूर्ण अभिलेखों को डिजिटल फाॅर्म में सुरक्षित रखने का काम केंद्रीकृत तरीके से किया जाये. इसे जिलों के ऊपर छोड़ने पर भी विचार किया गया. राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम को पूरा करने के लिए चकबंदी निदेशालय के पैटर्न को ही मानक के रूप में अंगीकार किया गया है.

अभिलेखागार निदेशालय की टीम ने अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग विवेक कुमार सिंह के सामने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया है. इसमें जीर्ण-शीर्ण और पुराने अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और संरक्षण की विधि की जानकारी दी गयी.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत कुमार और अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने सोमवार को सभी खतियान, नामांतरण पंजी, नामांतरण अभिलेख, मौजावार रक्षी पंजी, भूमि बंदोबस्त पंजी, भूमि हदबंदी सहित 28 तरह के दस्तावेजों के स्कैनिंग, डिजिटाइजेशन एवं संरक्षण के काम को लेकर समीक्षा बैठक की थी. यह काम समय से कैसे करना है, इसको लेकर दिशा- निर्देश दिये गये थे.

डिजिटाइजेशन व स्कैनिंग को निकाला जा चुका है टेंडर

राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत वर्ष-2014-15 में अंचलों में संधारित जमाबंदी पंजी-2 एवं सर्वे खतियान की स्कैनिंग का काम शुरू किया गया था. स्कैनिंग की तकनीक का चयन संबंधित जिलों द्वारा किया गया. एनआइसी और बेल्ट्रान ने इसमें मदद दी गयी थी. इस काम के लिए अंचलवार एजेंसी का चयन जिला स्तर पर ही किया गया था.

बाद में बिहार सरकार ने एक अभियान के तहत पूरे बिहार के पंजी-2 को डिजिटाइज्ड करवाया, जिसके आधार पर आॅनलाइन म्युटेशन, लगान, एलपीसी एवं पंजी-2 में आॅनलाइन सुधार (परिमार्जन) जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं. अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह के आदेश पर चकबंदी निदेशालय द्वारा चकबंदी न्यायालयों, चक की पंजी, खतियान आदि का डिजिटाइजेशन एवं स्कैनिंग को टेंडर निकाला जा चुका है.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version