Rahul Gandhi : ताराचंडी से राहुल गांधी का ‘हल्ला बोल’ अभियान,बिहार में SIR एजेंडे पर NDA को सीधी चुनौती

Rahul Gandhi : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी पारा चढ़ चुका है. अमित शाह पुनौरा धाम से चुनावी बिगुल फूंक चुके हैं और अब राहुल गांधी भी धार्मिक रंग में रंगकर NDA को सीधी टक्कर देने की तैयारी में हैं. इस बार उनका एजेंडा साफ है—SIR यानी संविधान, इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोजगार पर NDA सरकार को घेरना.

By Pratyush Prashant | August 11, 2025 9:18 AM

Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 अगस्त से सासाराम के प्रसिद्ध ताराचंडी शक्तिपीठ से पूजा-अर्चना कर बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे. यह यात्रा 30 अगस्त तक चलेगी और करीब 90% जिलों को कवर करेगी. राहुल का ‘हल्ला बोल’ अभियान NDA की नीतियों और चुनाव आयोग की तटस्थता पर सवाल उठाने के साथ-साथ हिंदू वोट बैंक में पैठ बनाने की भी रणनीति है.

गृह मंत्री अमित शाह ने सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में मंदिर शिलान्यास कर NDA का प्रचार शुरू किया था. इसी तर्ज पर राहुल गांधी भी ताराचंडी मंदिर से पूजा-अर्चना के बाद अपनी यात्रा शुरू करेंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम 80% बहुसंख्यक हिंदू आबादी को साधने की कोशिश है.

SIR एजेंडे पर हल्ला बोल

राहुल गांधी का मुख्य फोकस SIR—संविधान, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोजगार—पर रहेगा. कांग्रेस का आरोप है कि NDA सरकार ने इन तीनों मोर्चों पर बिहार को पीछे धकेला है. खासतौर पर वे विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) को विपक्ष के खिलाफ साजिश बताकर जनता को तथ्य बताएंगे.

यात्रा का रूट और कवरेज

शुरुआत: ताराचंडी मंदिर, सासाराम

रूट: औरंगाबाद → गया → नवादा → किशनगंज → मिथिलांचल

अवधि: 30 अगस्त तक

कवरेज: 90% जिलों में जनसभाएं, संवाद कार्यक्रम और रैलियां

खोई जमीन वापस पाने की कोशिश

पिछले चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस अब बिहार में अपनी मौजूदगी मजबूत करने के लिए आक्रामक रुख अपना रही है. मोदी-शाह की जोड़ी पहले से ही मैदान में है और राहुल को फ्रंटफुट पर लाकर पार्टी खोया जनाधार पाने की कोशिश कर रही है. 1990 के बाद से कांग्रेस बिहार में RJD के सहारे राजनीति कर रही है, लेकिन इस बार वह अपने दम पर प्रभाव जमाना चाहती है.

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि जम्मू-कश्मीर और झारखंड में INDIA गठबंधन को जीत मिली, लेकिन कांग्रेस वहां जूनियर पार्टनर रही. राहुल गांधी की यह यात्रा कांग्रेस के लिए सिर्फ प्रचार नहीं, बल्कि राजनीतिक संजीवनी खोजने का मिशन भी है.

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