पूर्णिया से गुर सीख राजस्थान में करेंगे मखाना की संभावनाओं की तलाश

तीन दिवसीय अन्तर्राज्यीय प्रशिक्षण सम्पन्न

By AKHILESH CHANDRA | August 22, 2025 5:34 PM

मखाना उत्पादन पर कृषि काॅलेज में तीन दिवसीय अन्तर्राज्यीय प्रशिक्षण सम्पन्न

प्रशिक्षण के समापन पर राजस्थान के अधिकारी व किसानों ने दिलाया भरोसा

पूर्णिया. पूर्णिया कृषि काॅलेज में ट्रेनिंग लेने के बाद अब प्रशिक्षु किसान राजस्थान में मखाना खेती के संभावनाओं की तलाश करेंगे. राजस्थान सरकार के अधिकारी उनका सहयोग करेंगे. यहां आयोजित तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण के समापन पर प्रशिक्षणार्थी किसानों ने यह भरोसा दिलाया और कहा कि यहां उन्हें मखाना खेती की बारीकियों को समझने में आसानी हुई है जिससे वे लोग अपने प्रदेश में उगाने के लिए उत्सुक हैं. कृषि काॅलेज के प्राचार्य डॉ. डी. के. महतो ने उनका उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि मखाना को सरकार द्वारा भौगोलिक सूचकांक प्रदान करने केे साथ ही यह एक वैश्विक फसल हो गई है जिसका उत्पादन करके आर्थिक समृद्धि प्राप्त की जा सकती है.

दरअसल, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में राजस्थान सरकार के उद्यान विभाग द्वारा संपोषित मखाना उत्पादन विषयक तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण का समापन किया गया. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ दुनिया राम सिंह के दिशा निर्देश पर आयोजित इस अन्तर्राज्यीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में राजस्थान के बांसवाडा उद्यान उप निदेशक दलसिंह गरासिया ने कार्यक्रम को काफी उपयोगी बताया और इस पर स्वयं अमल करते हुए इसे अपने प्रांत में बढ़ावा देनेे का भरोसा दिलाया. प्रशिक्षण केलिए किसानों के साथ आए राजस्थान बासवाडा के उद्यान सहायक निदेशक बादामी लाल निनामा ने महाविद्यालय प्रशासन को इस उत्कृष्ट प्रशिक्षण आयोजन के लिए संतोष एवं आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर किसानों ने भी अपने विचार व्यक्त किये. याद रहे कि तीन दिनों के प्रशिक्षण में राजस्थान के बांसवाडा जिले के कुल 45 अधिकारी एवं चयनित प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया.

मखाना उत्पादन को फसल चक्र में कर सकते हैं शामिल

प्रशिक्षण कार्यक्रम के सम्न्वयक एवं वरीय वैज्ञानिक डॉ. रणवीर कुमार ने कहा कि प्रशिक्षाणार्थियों को आवासान की उत्तम व्यवस्था के साथ ही उनके गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण एवं परिभ्रमण कराया गया. मखाना विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि नये प्रदेश में मखाना उत्पादन करने के लिए सर्वेक्षण कर वहां संभावनाएं तलाशनी होगी. डा. अनिल ने कहा कि इस हिसाब से विवेचना करके मखाना उत्पादन कार्यक्रम को फसल चक्र में सम्मलित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि राजस्थान के नीचले व डैम बाले कुछ क्षेत्रों में इसे आसानी से अपनाया जा सकता है. सह-आयोजन सचिव डॉ. आषीष रंजन ने कार्यक्रम को सफल बताया. मंच संचालन डॉ. कंचन भामिनी एवं धन्यवाद ज्ञापन बिनोद कुमार झा ने किया. इस अवसर पर कृषि काॅलेज के सभी कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे.

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