फिर बरामदे पर ही कटेगी जीएमसीएच में भर्ती मरीजों की सर्द रातें
वार्ड से लेकर पुराने ऑपरेशन थियेटर के बरामदे तक में मरीजों का चल रहा है इलाज
पूर्णिया. राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में भर्ती मरीजों को इस साल भी बरामदे पर चादर टांगकर सर्द रातें बितानी होंगी. ऐसा इसलिए कि अभी तक नव निर्मित भवन में भर्ती मरीजों के लिए वार्ड की सुविधा शुरू नहीं हो पायी है. जबकि अब ठंड ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है तो दूसरी ओर दिन-प्रतिदिन बढ़ती मरीजों की संख्या और वार्ड के कमरे में जगह कम होने की वजह से यहां बरामदे पर मरीजों को भर्ती करना अस्पताल प्रशासन की मजबूरी बनी हुई है.
सदर अस्पताल के मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड होने के बाद से सिर्फ पूर्णिया ही नहीं, बल्कि यहां इलाज के लिए अन्य कई जिलों के मरीज भी पहुंचने लगे हैं. निश्चित ही यहां चिकित्सा सेवाओं का विस्तार हुआ है लेकिन सुविधाओं के मामले में यह अब भी अधूरा पड़ा है. ओपीडी को छोड़कर, अगर बात सिर्फ वार्ड और उसमें भर्ती मरीजों की ही की जाये, तो सिर्फ महिला प्रसव वार्ड को ही अबतक नये भवन में जगह मिल पायी है. शेष मामलों में सदर अस्पताल के पुराने भवन को ही उपयोग में लाया जा रहा है. उक्त ब्लाक में लगभग डेढ़ सौ के आसपास बेड लगे हुए हैं, जबकि चारों ओर बरामदे पर दर्जनों बेड हैं. मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. वार्ड से लेकर पुराने ऑपरेशन थियेटर के बरामदे तक में मरीजों का इलाज चल रहा है.एसएनसीयू में भर्ती बच्चों के परिजनों का भी बुरा हाल
वैसे नवजात बच्चे, जो जन्म के समय कमजोर होते हैं या चिकित्सक जिन नवजातों को विशेष सुरक्षा के लिए जीएमसीएच के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करने की सलाह देते हैं, उनके परिजनों के लिए उक्त स्थान पर रहना भी परेशानियों का सबब बना हुआ है. एसएनसीयू में भर्ती बच्चों की मां और उनके परिजनों को वहां बने एक साधारण से टीन के शेड में जगह न मिल पाने से वे खुले आसमान के नीचे अपना डेरा डालने को विवश हैं. इस वजह से सर्द रातें उनके स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर समस्या की वजह बन सकती है. वहां मौजूद गार्ड ने बताया कि भर्ती बच्चों के परिजनों को अन्य स्थान पर जाने के लिए कहने के बावजूद वे लोग यहीं रहने की जिद करते हैं. इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अभी तक उन्हें पूर्ण रूप से अस्पताल की नव निर्मित बिल्डिंग हैंडओवर नहीं की गयी है. इस वजह से इलाज के दौरान पुराने स्थान पर ही मरीजों को भर्ती करने की मजबूरी बनी हुई है, जबकि दूसरी ओर निर्माण कार्य में लगी कम्पनी अपनी बकाया राशि के भुगतान नहीं होने का रोना रो रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
