उपाध्यक्ष पद से वंचित किये जाने पर बिहार बंगाली समिति को आपत्ति
बिहार बंगाली समिति की एक आवश्यक बैठक हुई. इसमें राज्य अल्पसंख्यक आयोग के गठन में बंगला भाषियों को उपाध्यक्ष पद से वंचित किये जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी गयी.
पूर्णिया. बिहार बंगाली समिति की एक आवश्यक बैठक हुई. इसमें राज्य अल्पसंख्यक आयोग के गठन में बंगला भाषियों को उपाध्यक्ष पद से वंचित किये जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी गयी. बिहार बंगाली एसोसिएशन के राज्य उपाध्यक्ष ए के बोस ने कहा कि सरकार बंगाली समाज के साथ भेदभाव और सौतेला व्यवहार कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में अल्पसंख्यकों के बीच बंगला भाषियों की आबादी 20 लाख से भी ज्यादा है और राज्य अल्पसंख्यक आयोग में पिछले 30 वर्षों से उपाध्यक्ष का पद बंगला भाषी लोगों को ही दिया जाता था, लेकिन इस बार बंगाली समुदाय को नज़र अंदाज कर दिया गया है जिससे बंगाली समुदाय अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार बंगला अकादमी का भी गठन पिछले 10 वर्षों से नहीं किया गया. इस कारण बंगला भाषा का विकास अवरुद्ध हो गया है और नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा से दूर चले जा रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि बंगाली समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करने का पहल की जाये ताकि इस समुदाय को अपने हक के लिए संघर्ष का रास्ता नहीं अपनाना पड़े. इस अवसर पर पूर्णिया शाखा सचिव रबिंद्र नाहा ने बताया कि काफी लंबे संघर्ष के बाद स्कूल के विद्यार्थियों को बंगला भाषा की पुस्तक उपलब्ध करायी गयी है, लेकिन अभी भी बंगला अल्पसंख्यक विद्यालयों को अनेक सुविधाओं से वंचित रखा गया है. इस अवसर पर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष तारा कांत चटर्जी भी उपस्थित थे.
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