ओल्ड–न्यू पेंशन को लेकर विवि–कॉलेज में ठनी
कुलपति ने कहा-उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर रोका गया वेतन
– कुलपति ने वेतन पर लगातार रोक रखी तो प्रधानाचार्य ने दे दिया लीगल नोटिस – कुलपति ने कहा-उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर रोका गया वेतन – प्रधानाचार्य ने कहा- ओल्ड पेंशन का हूं हकदार जबरन थोप रहे न्यू पेंशन पूर्णिया. ओल्ड-न्यू पेंशन के मामले में पूर्णिया विवि के कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह और आरएल कॉलेज माधवनगर के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. मुहम्मद कमाल के बीच ठन गयी है. जहां कुलपति ने डॉ. कमाल के वेतन पर लगातार रोक लगा रखी है तो वहीं प्रधानाचार्य डॉ. कमाल भी लीगल नोटिस दे चुके हैं. कुलाधिपति तक इस मामले की जानकारी पहुंचायी गयी है. वहीं प्रधानाचार्य डॉ. कमाल ने अपर मुख्य सचिव,शिक्षा विभाग को पत्र देकर यह भी बताया कि इस स्थिति में मेरे या परिजन के साथ कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो जाती है तो, इसकी सारी जवाबदेही पूर्णिया विश्वविद्यालय की होगी. इस संबंध में आरएल कॉलेज के वेतन रोके जाने के बारे में वाट्सएप के माध्यम से जानकारी मांगे जाने पर पूर्णिया विवि के कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने वाट्सएप संदेश देकर बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश के आलोक में आरएल कॉलेज के प्रधानाचार्य का वेतन रोका गया है. वहीं आरएल कॉलेज माधवनगर के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. मुहम्मद कमाल का दावा है कि वे ओल्ड पेंशन के पूरी तरह से हकदार हैं. ओल्ड पेंशन के आधार पर ही अबतब उनका पीएफ भी काटा जाता रहा है. वे कुछ महीनों में रिटायर भी हो जाएंगे. ऐसे में न्यू पेंशन थोपा जाना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है. ———— बीते 12 मार्च को वेतन किया स्थगित जानकारी के अनुसार, कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह के निर्देश पर 12.03.2025 के आदेश से आरएल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. कमाल के वेतन पर रोक लगा दी गयी. इस रोक की वजह से नवंबर 2024 से ही उनका वेतन बाधित हो गया. एक साल बीतने के बाद भी वेतन पर लगी रोक जारी है. इस बीच, परिवार के आवश्यक खर्च के लिए अग्रिम हेतु प्रधानाचार्य ने तीन बार आवेदन समर्पित किया, जो अबतक विश्वविद्यालय प्रशासन के विचाराधीन है. ——————- विवि का 2009 में नियुक्ति का दावा, प्रधानाचार्य दर्शा रहे 37 साल की सेवा पूर्णिया विवि ने प्रधानाचार्य डॉ. कमाल के संदर्भ में 25.11.2025 को पत्र जारी कर प्रधानाचार्य के पद पर योगदान की तिथि 27.03.2009 दर्शायी है. जबकि प्रधानाचार्य डॉ. कमाल का कहना है कि अब तक उनकी सेवा अवधि बिना किसी अवरोध के लगभग 37 वर्षों की हो चुकी है. उन्होंने विवि से सवाल किया है कि उनकी नियुक्ति की तिथि यदि 27.03.2009 से मानी जाती है, तो उससे पूर्व 20 वर्षों का मेरे सेवाकाल का क्या होगा. जबकि मेरी सेवा के प्रारम्भिक काल 08 सितंबर 1989 से ही मेरे वेतन से पीएफ आदि की कटौती नियमानुसार होती रही है. यह भी सवाल किया कि 2009 में वे सीधे प्रधानाचार्य कैसे बन सकते हैं. ओल्ड-न्यू पेंशन का आधार वर्ष 2005 जानकारी के अनुसार, ओल्ड- न्यू पेंशन का आधार वर्ष 2005 रखा गया है.नई पेंशन योजना 2005 से लागू है1 बिहार गजट में यह उल्लेख किया गया है कि 01 सितम्बर 2005 को अथवा उसके बाद विधिवत् विरमित होने या निहित प्रावधानों के अन्तर्गत त्यागपत्र देने पर भी वे विगत सेवा की पेंशन प्रयोजनार्थ परिगणित करने हेतु बिहार पेंशन नियमावली 1950 अंतर्गत पुरानी पेंशन स्कीम तथा संबंधित नियमों से आच्छादित रहेंगे अर्थात् ऐसे कर्मचारी को पुरानी पेंशन स्कीम की सुविधा सुलभ होगी. यह है डॉ. कमाल का सेवाकाल आठ सितंबर 1989 से लगभग 10 वर्ष दो कॉलेजों सिलीगुड़ी कॉलेज तक एवं टीडीबीकॉलेज में तथा 10 वर्ष स्नातकोत्तर हिंदी विभाग, वर्धमान विश्वविद्यालय में 12.11.1999 से 26.03.2009 तक कार्यरत रहे. इसके उपरांत विधिवत विरमित होकर 27.03.2009 को रीडर श्रेणी के प्रधानाचार्य के रूप में भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा द्वारा नियुक्त एवं पदस्थापित किया गया. वर्ष 2018 में पूर्णिया विवि की स्थापना के बाद से पूर्णिया विवि के अधीन कार्यरत हैं.
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