दवाओं की बढ़ती कीमतों पर केंद्र लगाम लगाये : पप्पू यादव
पप्पू यादव ने आम नागरिकों पर बढ़ते दवा खर्च को असहनीय बोझ बताते हुए लोकसभा की रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष कृति आजाद को एक विस्तृत पत्र भेजा है.
लोकसभा की स्थायी समिति के अध्यक्ष कृति आजाद को भेजा पत्र
पूर्णिया. पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने आम नागरिकों पर बढ़ते दवा खर्च को असहनीय बोझ बताते हुए लोकसभा की रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष कृति आजाद को एक विस्तृत पत्र भेजा है. पत्र में उन्होंने दवाओं की अनियंत्रित कीमतों को देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए खतरा बताते हुए तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की है. सांसद पप्पू यादव ने अपने पत्र में बताया कि भारत सरकार द्वारा नियंत्रित राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची में केवल लगभग 900 दवाएं शामिल हैं, जबकि बाजार में उपलब्ध कुल ब्रांडेड दवाओं का 85-90% हिस्सा गैर-अनुसूचित श्रेणी में आता है. इन दवाओं की कीमतों पर किसी प्रकार का सीधा सरकारी नियंत्रण नहीं है. इसी कमी का फायदा उठाकर दवा कंपनियां मनमानी कीमतें निर्धारित कर रही हैं, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार अत्यधिक प्रभावित हो रहे हैं.सांसद ने कई दवाओं के उदाहरण देते हुए बताया कि उत्पादन लागत और एमआरपी के बीच भारी अंतर साफ तौर पर उपभोक्ताओं के शोषण को दर्शाता है. उन्होंने सिप्रोफ्लोक्सासिन, इबुप्रोफेन और लैबोकोफ जैसी दवाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां उत्पादन लागत कुछ 100 रुपये होती है, वहीं एमआरपी कई हजार रुपये तक रखा जा रहा है. यह अंतर दवा कंपनियों की अनियंत्रित मुनाफाखोरी को दर्शाता है.
पप्पू यादव ने कहा कि दवाओं की ऊंची कीमतों के कारण कई मरीज आर्थिक तंगी में इलाज बीच में छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य असमानता और बढ़ती है. उन्होंने समिति से चार बड़े सुधारात्मक कदम उठाने का आग्रह किया. इनमें गैर-अनुसूचित दवाओं पर मूल्य नियंत्रण लागू करने, राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची का विस्तार करने, जेनेरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने, एनपीपीए को अधिक अधिकार दिए जाने की मांग शामिल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
