Bihar News: बिहार को मिला तीसी 206 प्रभेद का पेटेंट, आवेदन के 10 साल बाद आया सार्टिफिकेट
Bihar News: सर्टिफिकेट के आधार पर किसान या उसके परिवार इस नाम के प्रभेद का उत्पादन सहित विक्रय, विपणन, वितरण, आयात-निर्यात कर सकते हैं. ऐसा करने के लिए अन्य व्यक्ति या किसान प्राधिकृत करने का अन्य भी अधिकार होगा.
खास बातें
Bihar News: जलालगढ़/कसबा (पूर्णिया)निकेश राय/अक्षय. पूर्णिया जिले के एक किसान ने करीब 10 साल पहले ही तीसी का विशेष बीज तीसी 206 प्रभेद विकसित कर लिया था. तीसी बीज का पेटेंट कराने के लिए उन्होंने पहल भी की. मगर 10 साल के बाद उनके द्वारा विकसित बीज का पेटेंट तब आया जब छह साल पहले ही वह इस दुनिया को अलविदा कर चले गये. बुधवार को परिजनों को तीसी बीज के पेटेंट की जानकारी तब हुई, जब इस सिलसिले में प्रभात खबर की टीम किसान राजेंद्र मंडल के घर पहुंची. जिले के कसबा प्रखंड के दोगच्छी गांव के किसान राजेंद्र मंडल की पत्नी कोकिला देवी, पुत्र अजय मंडल इस उपलब्धि को सुन भावुक हो उठे. उन्होंने बताया कि इसकी कोई जानकारी उनलोगों को नहीं है.
- परिजनों को पेटेंट का पता तब चला जब किसान के घर पहुंची प्रभात खबर की टीम
- प्रभात खबर की टीम से पेटेंट की जानकारी मिलने पर भावुक हो उठा पूरा परिवार
पिता के सपने को आगे बढ़ाएंगे पुत्र अजय
राजेंद्र मंडल के पुत्र अजय ने बताया कि उनके पिता का देहांत वर्ष 2019 में हो गया. वर्ष 2024 में भारत सरकार के पौधा किस्म रजिस्ट्री ने किसान राजेंद्र मंडल के नाम से तीसी 206 प्रभेद को मान्यता प्रदान करते हुए प्रमाणपत्र जारी किया गया. यह प्रमाण पत्र केवीके जलालगढ़ को उपलब्ध कराया गया. हालांकि किसान राजेंद्र मंडल के पूर्व में ही निधन के कारण पूरा परिवार इस उपलब्धि से अनभिज्ञ रहा. प्रभात खबर की इस पहल से जहां किसान राजेंद्र मंडल की उपलब्धि को पहचान मिलेगी, वहीं पेटेंट का लाभ उनके परिवार और अन्य किसानों को भी मिलेगा.
किसान के परिजन को दिल्ली से आया सर्टिफिकेट
केवीके कसबा प्रखंड के दोगच्छी गांव के किसान राजेंद्र मंडल ने 12 मई 2014 को अलसी (तीसी) के प्रमाणीकरण के लिए टीआईएसआई यानी तीसी 206 प्रभेद के नाम से कृषि विज्ञान केंद्र पूर्णिया जलालगढ़ को दिया. इसे दिल्ली में पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पौधा किस्म रजिस्ट्री) को भेजा गया. इसका पंजीकरण दस वर्ष बाद हो सका. केवीके के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ केएम सिंह ने बताया कि जुलाई 2024 में उक्त प्रभेद का पंजीकरण का सर्टिफिकेट वर्ष 2024 में ही केवीके में आया. बताया कि उक्त नाम के किसान की खोजबीन की गयी लेकिन कोई पता नहीं चल सका. वहीं बताया कि यदि उनके परिवार के कोई भी सदस्य इस सर्टिफिकेट को लेते हैं तो उसे दिया जायेगा.
10 वर्ष पहले होती थी अलसी की खेती
मृतक किसान राजेंद्र मंडल के पुत्र अजय ने बताया कि 10 वर्ष पहले अलसी की खेती की जाती थी. समयानुसार सूर्यमुखी की खेती को दो वर्ष किया गया और आधुनिकता व बाजार को देखते हुए मक्का की खेती की ओर अग्रसर हो गए हैं. बताया कि यदि सर्टिफिकेट मिलता है, तो पिता के इस सपने को आगे बढ़ाया जाएगा. अलसी (तीसी) को इन क्षेत्रों में चिकना भी कहते हैं. अलसी (तीसी) के गुण लक्षण को लेकर केवीके के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ केएम सिंह ने बताया कि अलसी, जिसे फ्लैक्स सीड भी कहते हैं. एक औषधीय बीज है जो ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. इसे सीधे खाया जा सकता है या तेल, पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. बताया कि इसका वैज्ञानिक नाम लिंडम यूसीटाटिसीमम है.
सेहत के लिए बहुत फायदेमंद
केवीके के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ केएम सिंह ने बताया कि अलसी (तीसी) पाचन सुधारने, हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, कोलेस्ट्रॉल कम करने और त्वचा व बालों के लिए फायदेमंद है. अलसी फाइबर से भरपूर होती है, जो पाचन को दुरुस्त रखती है, कब्ज से राहत दिलाती है और पेट को भरा हुआ महसूस कराती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है. इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो हृदय को स्वस्थ रखने और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करने में मदद करता है. यह हार्मोन के संतुलन में मदद करती है, खासकर मेनोपॉज के दौरान. स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए यह दूध बढ़ाने में भी सहायक है. यह शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करती है, जैसे कि कैंसर कोशिकाओं को बनने से रोकना. इसका नियमित सेवन ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है.
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