प्रशांत किशोर ने राज्य सरकार पर किया बड़ा हमला, कहा- ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था‍

प्रशांत किशोर ने बगहा के पतिलार स्थित पदयात्रा कैंप में उन्होंने राज्य सरकार पर बड़ा हमला किया है. उन्होंने कहा कि बिहार से पलायन की समस्या सबसे बड़ी है. इसका कोई समाधान नहीं है. इसके साथ ही, स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है.

By Prabhat Khabar Print Desk | October 26, 2022 3:45 PM

जन सुराज पदयात्रा के दौरान सामने आई समस्याओं का ज़िक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जब पदयात्रा गांवों से गुजर रही है तो उन्हें ज्यादातर महिलायें, बच्चे और बुजुर्ग ही गांवों में मिलते हैं. यह साफ़ दिखता है कि पलायन ने विकराल रूप ले लिया है. गांवों के 70 प्रतिशत युवा रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जा चुके हैं. शिक्षा व्यवस्था का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है, स्कूल की बिल्डिंग, शिक्षक और छात्र तीनों का समायोजन कहीं देखने को नहीं मिलता है. जहां बिल्डिंग है, वहां शिक्षक और छात्र नहीं हैं, जहां छात्र हैं वहां शिक्षक और बिल्डिंग नहीं है.

हर गांव की सड़क बेहाल

ग्रामीण सड़कों का हाल भी लालू राज जैसा ही है, जैसे ही आप स्टेट और नेशनल हाईवे छोड़ कर ग्रामीण सड़कों पर आएंगे, आपको पता लगेगा की ग्रामीण सड़कों की स्थिति कितनी बेहाल है. प्रशांत किशोर ने कहा की जल्द हीं वह एक वीडियो भी जारी करेंगे जिसमे 200 किलो मीटर पदयात्रा के दौरान मिली ख़राब सड़कों का हाल दिखाया जायेगा. बिजली बिल की समस्या का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा की बिजली तो पहुंच गई है मगर लोग बिल से परेशान हैं. खुले में शौच की समस्या को गंभीर बताते हुए उन्होंने कहा कि ODF केवल कागजों पर हैं, जमीन पर स्थिति इसके ठीक उलट है.

जमीनी स्तर पर गांवों का हाल बुरा

चंपारण में आने वाले बाढ़ के बारे में कहा कि प्रशांत किशोर ने कहा की बारिश के पानी से खेती का बहुत नुकसान होता है. सरकारी परिभाषा के अनुसार 3 दिन तक अगर पानी रुकता है तो उसे बाढ़ माना जाता है. लोगों ने बताया कि ऐसे 60-62 छोटी नदियां हैं, जिसमें नेपाल से बारिश का पानी आता है और कई गांवों को प्रभावित कर चला जाता है. प्रशांत किशोर ने वृद्धा पेंशन के पैसे मिलने में आने वाली चुनौतियों पर कहा कि उन्होंने ने दलित और महदलित समाज की बदहाली पर बात करते हुए कहा कि बिहार में दलित-महादलित के नाम पर राजनीति हो रही है, मगर जमीनी स्तर पर हालात बेहद खराब है.

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