कामकाजी महिलाओं के उत्पीड़न पर जीरो टॉलरेंस की नीति : डीजीपी
डीजीपी विनय कुमार ने कहा है कि कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर सरकार सख्त है
संवाददाता, पटना
डीजीपी विनय कुमार ने कहा है कि कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर सरकार सख्त है. इस मामले में किसी भी स्तर पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी. महिलाओं की सुरक्षा संगठन की प्राथमिक जिम्मेदारी है. हर शिकायत पर नियमानुसार कार्रवई सुनिश्चित करना है. विनय कुमार मंगलवार को पुलिस मुख्यालय पटेल भवन सभागार में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर विशेष कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. डीजीपी ने कहा कि कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल देना हमारा नैतिक और कानूनी दायित्व है. कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न की रोकथाम के लिए बने पॉश एक्ट (कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम, निषेध एवं निवारण अधिनियम, 2013 ) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से एडीजी कमजोर वर्ग द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
एडीजी कमजोर वर्ग डॉ अमित जैन ने बताया कि किसी महिला की कार्यस्थल पर उत्पीड़न की शिकायत आती है तो उसे छुपाना या दबाना अपराध की तरह देखा जाएगा. पीड़िता का सम्मान और गोपनीयता सर्वोपरि है. उन्होंने बताया कि पॉश कानून 2013 के तहत जहां भी दस से अधिक कर्मचारी हैं, वहां आंतरिक परिवाद समिति बनाना अनिवार्य है. डॉ जैन ने जानकारी दी कि बिहार पुलिस में फिलहाल 52 आंतरिक समितियां काम कर रही हैं. शिकायत मिलते ही तथ्यात्मक जांच, काउंसिलिंग और समयबद्ध सिफारिश सुनिश्चित की जाती है.घरेलू कामगार मामले को एलसीसी सुनेगी
यदि पीड़िता घरेलू कामगार है या संस्थान में समिति नहीं बनी है, तो मामले को जिला स्तरीय लोकल कमेटी (एलसीसी) सुनेगी. जिसकी अध्यक्षता डीएम करते हैं. सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कल्याण) स्मिता सुमन ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए रूपरेखा और इस कानून की अवधारणा की जानकारी दी. कार्यक्रम में आंतरिक परिवाद समितियों के सदस्यों को भी बुलाया गया . एसपी कमजोर वर्ग आमिर जावेद, एसपीसी अंकित कश्यप, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि व महिला पुलिस अधिकारी मौजूद रहीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
