जब आंबेडकर पर चले पत्थर, गांधी मैदान से व्यवस्था बदलने का किया था आह्वान

छह नवंबर 1951 को गांधी मैदान में पिछड़ा वर्ग व शोषित जन संघ के संयुक्त सभा को संबोधित करने डॉ भीमराव आंबेडकर पटना आये थे.

By MANISH LIFE | April 14, 2025 12:00 PM

डॉ भीमराव आंबेडकर जयंती विशेष छह नवंबर 1951 को गांधी मैदान में पिछड़ा वर्ग व शोषित जन संघ के संयुक्त सभा को संबोधित करने डॉ भीमराव आंबेडकर पटना आये थे. पिछड़ा वर्ग संघ व शोषित जनसंघ के सम्मिलित प्रयास से आयोजित गांधी मैदान की विशाल जनसभा में आरएल चन्दापुरी ने डॉ आंबेडकर का स्वागत करते हुए उन्हें दलितों-पिछड़ों व शोषितों का मसीहा बताया था. जैसे ही डॉ आंबेडकर को उद्घाटन भाषण देने के लिए उन्होंने आमंत्रित किया कि बिजली गुल हो गयी. फिर जैसे ही डॉ आंबेडकर उठे, उनपर पत्थर फेंके जाने लगे. इस पर चन्दापुरीजी सामने खड़ा हो गये और उन्हें बचा लिया. इस दौरान उनके दाहिने आंख के ऊपर पत्थर लगने से खून बहने लगा. फिर बिजली आने के साथ स्थिति सामान्य हुई, तब भाषण प्रारंभ करते हुए डॉ आंबेडकर ने कहा कि मुझे इस बात से बहुत खुशी है कि महात्मा बुद्ध की पवित्र भूमि में सामाजिक क्रांति का बीज फिर से अंकुरित हो गया है. यह वही स्थान है, जहां से ज्ञान का प्रकाश सारे विश्व में फैला था. देश के शोषितों संगठित हो और आगे बढ़ो. वर्ण-व्यवस्था और जाति-प्रथा के कारण शूद्र, अतिशुद्र, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा है. जब तक नये समाज का निर्माण नहीं किया जाता तब तक समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों, पीड़ितों दलितों और आदिवासियों का कल्याण नहीं हो सकता है. आज हमें अपनी शक्ति पहचाननी है और समाज में अपना गौरवपूर्ण स्थान बना कर देश की राजनीति व शासन संबंधी कार्यों में भाग लेना है. डॉ आंबेडकर ने आगे कहा कि भारतीय संविधान में समस्त भारतीयों को सामाजिक समानता का अधिकार दिया गया है. दो हजार वर्षों तक हमारी आत्मा को इस तरह कुचला गया है. देश में हम दलितों, पिछड़ों, शोषितों और शूद्रों की संख्या नब्बे प्रतिशत है. देश की शासन-सत्ता हम अपने हाथ में लेंगे. जिस प्रकार विदेशों में सामाजिक अत्याचार का विरोध किया गया, उसी प्रकार हमें भी अपनी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को बदल कर कर देश का नवनिर्माण करना है. इसके लिए शिक्षित हो, संगठित हो और संघर्ष के लिए आगे बढ़ो. कायर बराबर मरता है कि लेकिन वीर पुरुष कभी नहीं मरता. देश का भविष्य निर्भीक नवजवानों पर निर्भर करता है. इसलिए अपना उत्तरदायित्व समझते हुए सभी नवजवानों को आगे आना चाहिए.

– इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी

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