Bihar News : लिट्टी–चोखा पार्टी में सियासत की आंच! कुशवाहा के तीन विधायक नदारद, NDA में उठे दरार के सवाल
उपेंद्र कुशवाहा की लिट्टी–चोखा पार्टी में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के तीन विधायकों की गैरमौजूदगी ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। पार्टी जहां इसे सामान्य घटना बता रही है, वहीं विपक्ष इसे एनडीए के भीतर बढ़ती खींचतान और संभावित सियासी संकट का संकेत मान रहा है.
Bihar News : बिहार की राजनीति में बुधवार की शाम एक साधारण-सी लिट्टी–चोखा पार्टी अचानक बड़े सियासी संकेत देने लगी. दरअसल, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की ओर से लिट्टी आयोजित की गई थी. मगर, इस पार्टी से उन्ही की पार्टी के तीन विधायक नदारद रहे. इस गैरमौजूदगी ने बिहार की सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया. सवाल उठने लगे हैं क्या पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक है! या फिर किसी बड़े राजनीतिक संकट की आहट है?
खबर में खास
ये तीन विधायक रहे गायब
दरअसल, इस लिट्टी–चोखा पार्टी में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक कुमार सिंह शामिल नहीं हुए. यही नहीं, इससे पहले दोपहर में हुई पार्टी की संगठनात्मक बैठक में भी तीनों विधायक नजर नहीं आए. इसके बाद राजनीतिक हलकों में यह अटकलें तेज हो गईं कि उपेंद्र कुशवाहा के बेटे विजय प्रकाश को मंत्री बनाए जाने को लेकर पार्टी के भीतर नाराजगी है. और इसी कारण विधायक कार्यक्रमों से दूरी बना रहे हैं.
राजनीतिक रंग बेवजह : आरएलएम
हालांकि, राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने इन कयासों को सिरे से खारिज कर दिया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नितिन भारती ने कहा कि विधायकों की गैरमौजूदगी को बेवजह राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. उनका कहना है कि विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जनता की समस्याओं को लेकर दौरे पर हैं और मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं. किसी कारणवश यदि वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए, तो इसे पार्टी के खिलाफ झूठा प्रपंच बनाना गलत है. अब ये प्रपंच है या बिहार की राजनीति में अंदर अंदर सुलगती आग! ये तो आने वाला वक्त बताएगा.
बीजेपी पर ही लगाया आरोप
लेकिन राष्ट्रीय लोक मोर्चा के इस स्पष्टीकरण से विपक्ष संतुष्ट नजर नहीं आ रहा. राष्ट्रीय जनता दल ने इस पूरे घटनाक्रम को एनडीए के भीतर की अंदरूनी खींचतान से जोड़कर देखा है. इधर, इस मामले पर राजद का आरोप है कि एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है. प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दलों को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है. उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की राजनीति बीजेपी को रास नहीं आती है. इसलिए उन्हें राजनीतिक लाइमलाइट से हटाने की कोशिश हो रही है. इसी कड़ी में यह भी दावा किया जा रहा है कि लिट्टी–चोखा पार्टी में शामिल होने के बजाय आरएलएम के विधायक बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन से मुलाकात कर रहे थे.
क्या बढ़ेगी दरार या ….
फिलहाल, राष्ट्रीय लोक मोर्चा टूट की खबरों को भले ही अफवाह बता रहा हो, लेकिन विधायकों की गैरमौजूदगी और विपक्ष के तीखे आरोपों ने बिहार की राजनीति में नई बहस जरूर छेड़ दी है. अब सबकी नजर इस पर है कि आने वाले दिनों में यह सियासी विवाद शांत होता है या फिर एनडीए के भीतर किसी नई दरार की कहानी सामने आती है.
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