Video: राजेश रसीला ने गाया “सीना चीर के दिखइयो जी…” तो भावुक हुए तेजप्रताप, जनता दरबार का बदला माहौल
Tej Pratap Yadav: राजद से निलंबन के बाद तेजप्रताप यादव ने जनता से सीधे जुड़ने की नई मुहिम शुरू की है. अपने आवास पर ‘जनता दरबार’ लगाकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं. साथ ही लोकगीतों और भावनात्मक माहौल से दरबार को अनोखा रंग भी दे रहे हैं, जिस पर सोशल मीडिया पर जमकर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
Tej Pratap Yadav: राजद से निलंबन और परिवार से दूरी के बाद तेजप्रताप यादव अब नई सियासी पिच पर बैटिंग कर रहे हैं. पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर उन्होंने लगातार तीसरे दिन ‘हर शाम जनता के नाम’ अभियान के तहत जनता दरबार लगाया. 27 जून को हुए इस आयोजन में उन्होंने राज्यभर से आए लोगों की समस्याएं सुनीं और समाधान का भरोसा भी दिलाया.
तेजप्रताप ने इस दरबार की जानकारी खुद X (पूर्व ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा, “आज लगातार तीसरे दिन ‘हर शाम- जनता के नाम’ के तहत ‘सीधी बात- सीधा समाधान’ में राज्य भर से आए हुए लोगों की समस्याओं को सुनकर त्वरित समाधान हेतु उचित कार्रवाई की.”
लोकगायक राजेश रसीला ने सुनाया गाना
हालांकि, इस जनता दरबार की चर्चा सिर्फ समस्याओं और उनके समाधान को लेकर ही नहीं हो रही है. दरअसल, कार्यक्रम में बिहार के लोकगायक राजेश रसीला को भी आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने तेजप्रताप की शान में गीत “बजरंगबली हियो नहीं हो तेजप्रताप भइया, सीना चीर के दिखइयो जी…” गाया. तेजप्रताप गीत के दौरान मुस्कुराते नजर आए और माहौल पूरी तरह भावनात्मक से मनोरंजक में बदल गया.
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने दी प्रतिक्रिया
इस पूरे आयोजन के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर सामने आते ही यूजर्स ने इसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी. जहां कुछ ने इसे तेजप्रताप का जनसेवा की ओर कदम बताया, वहीं कई यूजर्स ने इस ‘जनता दरबार’ को व्यंग्य और तंज का शिकार बना डाला.
एक यूजर ने लिखा, “कपिल शर्मा जैसा कॉमेडी शो शुरू कर दो. ” तो दूसरे ने सलाह दी, “अब खुद की पार्टी बना ही डालिए. ” वहीं कुछ लोगों ने इसे “जनता दरबार में अय्याशी” करार देते हुए कहा कि यह दरबार जनता के लिए कम, आत्मप्रशंसा और प्रचार के लिए ज्यादा है.
तेजप्रताप के नए अवतार से सियासी गलियारों में हलचल
तेजप्रताप यादव का यह नया अवतार सियासी गलियारों में हलचल जरूर पैदा कर रहा है. वह अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश में जुटे हैं. जहां जनता की समस्याएं भी हैं और गीत-संगीत के जरिए माहौल को हल्का बनाने की कला भी. अब देखना यह होगा कि उनका यह अंदाज़ जनता को कितना भाता है और क्या यह उन्हें बिहार की राजनीति में नई जमीन दिला पाएगा.
