मतदाता सूची पुनरीक्षण पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुकूल : सम्राट

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और 2005 में टीएमसी सांसद ममता बनर्जी ने घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने की वकालत की थी.

By RAKESH RANJAN | July 22, 2025 1:01 AM

कहा-लालू प्रसाद ने 1992 में, ममता बनर्जी ने 2005 में किया था घुसपैठियों का विरोध

संवाददाता,पटना

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और 2005 में टीएमसी सांसद ममता बनर्जी ने घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने की वकालत की थी. आज वोट बैंक की राजनीति के दबाव में यही लोग लाखों घुसपैठियों को वोटर लिस्ट में बनाये रखना चाहते हैं. मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का विरोध कर रहे हैं. श्री चौधरी ने इसे विपक्ष की दोमुही और देश विरोधी राजनीति बताते हुए कहा कि उनके कथनी और करनी में अंतर को बिहार की जनता देख रही है. सम्राट चौधरी ने कहा कि मतदाता सूची का यह गहन पुनरीक्षण अभियान पूरी तरह पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. इसका उद्देश्य अवैध रूप से मतदाता सूची में शामिल लोगों की पहचान करना है, ताकि भारतीय चुनाव प्रणाली की पवित्रता बनी रहे.श्री चौधरी ने 29 सितंबर,1992 में एक समाचार पत्र में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि साल 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, तत्कालीन गृह मंत्री एसबी चह्वाण के द्वारा दिल्ली में बुलायी गयी एक उच्चस्तरीय बैठक में असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम के मुख्यमंत्री तथा मणिपुर, नगालैंड और दिल्ली के प्रतिनिधि के साथ शामिल हुए थे. इस बैठक में लालू प्रसाद ने घुसपैठ के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था और केंद्र सरकार से बांग्लादेश से अवैध प्रवेश रोकने के लिए कारगर कदम उठाने की मांग की थी. तब लालू प्रसाद ने कहा था कि अवैध घुसपैठियों द्वारा इन इलाकों में अचल संपत्ति खरीदी जा रही है, इसपर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि सीमावर्ती जिलों में भारतीय नागरिकों को पहचान पत्र जारी किये जायें, ताकि घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जा सके.

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