Bihar Politics: जहर मैंने पी लिया, तकलीफ उन्हें है कि मैं फिर से जी गया…, उपेंद्र कुशवाहा ने शायराना अंदाज में किसे दिया जवाब

Bihar Politics: बिहार की नई सरकार में बिना चुनाव लड़े मंत्री बने दीपक प्रकाश को लेकर बढ़ी आलोचनाओं पर उपेंद्र कुशवाहा ने शायराना अंदाज में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि योग्यता को परिवार से नहीं, काबिलियत से तौला जाना चाहिए.

By Abhinandan Pandey | November 22, 2025 11:59 AM

Bihar Politics: बिहार की नई सरकार के गठन के बाद से ही बिना चुनाव लड़े मंत्री बनाए गए उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश सुर्खियों में हैं. विरोधी दलों से लेकर खुद एनडीए खेमे के कुछ समर्थक भी इसे खुलकर परिवारवाद करार दे रहे हैं. लगातार बढ़ रही आलोचनाओं के बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक और शायराना पोस्ट लिखकर अपने फैसले का बचाव किया है.

‘सवाल जहर का नहीं था, वो तो मैं पी गया’

कुशवाहा ने लिखा कि वे सभी प्रतिक्रियाओं को देख रहे हैं- कुछ सकारात्मक, कुछ आलोचनात्मक. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में स्वस्थ आलोचना जरूरी है, लेकिन कुछ टिप्पणियां पूर्वाग्रह और द्वेष से भरी होती हैं. इसी संदर्भ में उन्होंने शायराना अंदाज में लिखा- ‘सवाल जहर का नहीं था, वो तो मैं पी गया, तकलीफ उन्हें तो बस इस बात से है कि मैं फिर से जी गया.’

उपेंद्र कुशवाहा बोले- बेटा मेहनती है, उसे परिवारवाद के चश्मे से न देखा जाए

अपने बेटे दीपक प्रकाश की योग्यता पर उठ रहे सवालों पर कुशवाहा ने कहा कि दीपक को केवल परिवारवाद के चश्मे से न देखा जाए. उन्होंने बताया कि उनका बेटा मेहनती है, उसने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और राजनीतिक संस्कार भी अपने पूर्वजों से पाए हैं. उन्होंने कहा- थोड़ा समय दीजिए, वह खुद को साबित करेगा और आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा.

दूसरा विकल्प हमें फिर से जीरो पर ले जाता- कुशवाहा

उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी खुलासा किया कि पार्टी को बचाने के लिए यह कदम उठाना उनकी मजबूरी थी. उनका कहना है कि बीते वर्षों में मजबूरन पार्टी विलय जैसे कठिन फैसले लेने पड़े, जिसके कारण पार्टी शून्य पर पहुंच गई थी. उन्होंने कहा कि यदि इस बार सही रणनीति नहीं अपनाई जाती तो दोबारा वही स्थिति बन सकती थी और यही वजह थी कि उन्हें सख्त निर्णय लेना पड़ा.

उन्होंने लिखा, आज मेरे फैसले की कितनी भी आलोचना हो, दूसरा विकल्प हमें फिर से जीरो पर ले जाता. मैंने पार्टी को जीवित रखने को प्राथमिकता दी, भले ही इससे मेरी लोकप्रियता पर चोट पहुंचे.

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