बोले उपेंद्र कुशवाहा- इस्लाम कबूल कर लूंगा तो कौन रोकेगा, भाजपा उपाध्यक्ष का तंज, कहा- बेहतर ऑफर मिलने पर…

केंद्र सरकार द्वारा यह स्पस्ट किये जाने के बाद कि जाति आधारित जनगणना केवल एससी/एसटी वर्ग के लिए होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एकबार फिर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है कि वो इसके पक्ष में नहीं हैं और जातिगत जनगणना कराना चाहते हैं. वहीं अब उपेंद्र कुशवाहा का एक बयान इस वक्त चर्चे में है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2021 9:02 AM

बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा गरमा चुका है. केंद्र सरकार द्वारा यह स्पस्ट किये जाने के बाद कि जाति आधारित जनगणना केवल एससी/एसटी वर्ग के लिए होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एकबार फिर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है कि वो इसके पक्ष में नहीं हैं और जातिगत जनगणना कराना चाहते हैं. वहीं अब जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी इस मामले में कूदे हैं. उनका एक बयान इस वक्त चर्चे में है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री व जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को कहा है कि अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन को कोई रोक नहीं सकता. यह संवैधानिक अधिकार है. अगर आज मैं इस्लाम धर्म कबूल करना चाहूंगा तो मुझे कौन रोक सकता है. धर्म परिवर्तन दबाव में नहीं होना चाहिए.

इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि जातीय जनगणना हमारी पार्टी की पुरानी मांग है और हम किसी भी कीमत पर इससे पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने यह बातें बक्सर दौरे पर पहुंचने के बाद कहीं. इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जातीय जनगणना के मसले पर पार्टी का रुख साफ कर इसे कम से कम एक बार जरूरी बताया था.

उपेंद्र कुशवाहा ने पत्रकारों से बातचीत में जातीय जनगणना को जरूरी बताया. साथ ही कहा कि कई बार अलग-अलग राज्यों के मसले पर स्थानीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि पिछड़ों के लिए योजना बनाते समय उनकी संख्या भी बताइए. हालांकि उस तरीके से जनगणना ही नहीं हुई है. इसलिए सरकार बता नहीं पाती है. साल 1931 के बाद आज तक जातीय जनगणना हुई ही नहीं है.

भाजपा ने जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर पलटवार किया है. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने ट्वीट कर कहा है कि वोट के लिए धर्म छोड़ने की मंशा रखने वाले बेहतर ऑफर मिलने पर कुछ भी कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने अपने किसी ट्वीट में उपेंद्र कुशवाहा का नाम सीधे तौर पर कहीं नहीं लिया है. परंतु उपेंद्र कुशवाहा के बक्सर में दिये दोनों बयानों के तुरंत बाद यह पलटवार किया है और इसे सीधे वोट बैंक की राजनीति से जोड़ते हुए जदयू पर सीधा आरोप लगाया है.

इसी मामले से जुड़े एक अन्य ट्वीट के जरिये राजीव रंजन ने कहा कि जाति-धर्म व्यक्तिगत और सामाजिक मसले हैं. इसके राजनीतिक प्रयोग से हर जिम्मेवार राजनीतिक दल को बचना चाहिए. उन्होंने जदयू से सीधे तौर पर सवाल भी किया है कि समाज में विभेद फैलाना कहां तक उचित है. यह ट्वीट उन्होंने जदयू के उस मांग पर की है, जिसमें उसने जातिगत जनगणना कराने की मांग की है.

गौरतलब है कि जदयू के उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि अगर वे इस्लाम कबूल करना चाहेंगे, तो उन्हें कौन रोक लेगा. अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन कर रहे लोगों को कोई रोक नहीं सकता है. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. उनके इस बयान के बाद भाजपा ने उन पर बड़ा हमला किया है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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