दलित मामलों की सुनवाई के लिए बिहार के इन नौ जिलों में बनेंगी विशेष अदालत, प्रस्ताव तैयार…

कौशिक रंजन, पटना राज्य में लंबित पड़े एससी-एसटी मामलों का निपटारा 20 सितंबर तक करने का टास्क मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में दिया था. एससी-एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के अंतर्गत गठित कमेटी की राज्य स्तरीय समीक्षा के दौरान सीएम ने यह आदेश दिया था. इसके मद्देनजर सिर्फ इन्हीं मामलों की सुनवाई के लिए नौ जिलों में एक्सकल्यूसिव कोर्ट बनाने का निर्णय लिया गया है.

By Prabhat Khabar | September 27, 2020 6:55 AM

कौशिक रंजन, पटना राज्य में लंबित पड़े एससी-एसटी मामलों का निपटारा 20 सितंबर तक करने का टास्क मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में दिया था. एससी-एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के अंतर्गत गठित कमेटी की राज्य स्तरीय समीक्षा के दौरान सीएम ने यह आदेश दिया था. इसके मद्देनजर सिर्फ इन्हीं मामलों की सुनवाई के लिए नौ जिलों में एक्सकल्यूसिव कोर्ट बनाने का निर्णय लिया गया है.

इन नौ जिलों में होगा एक्सकल्यूसिव कोर्ट का गठन

राज्य सरकार के स्तर से इसका प्रस्ताव तैयार हो गया है और अब हाईकोर्ट को अंतिम स्तर पर अनुमति के लिए भेजा जायेगा. जिन नौ जिलों में एक्सकल्यूसिव कोर्ट का गठन होने का प्रस्ताव है, उनमें दरभंगा, समस्तीपुर, सारण, भोजपुर, नालंदा, रोहतास, वैशाली, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण और नवादा जिले शामिल हैं. ये वे जिले हैं, जहां एससी-एसटी अपराध के लंबित मामलों की संख्या काफी ज्यादा है. अभी पांच जिलों पटना, मुजफ्फरपुर, गया, बेगूसराय और भागलपुर में ये कोर्ट चल रहे हैं. नये कोर्ट का गठन होने के बाद इन मामलों की सुनवाई के लिए गठित एक्सकल्यूसिव कोर्ट की संख्या 14 हो जायेगी.

नये एवं पुराने मिलाकर लंबित मामलों की संख्या करीब चार हजार

राज्य में एससी-एसटी के पहले से चले आ रहे लंबित मामलों की संख्या 700 से ज्यादा है. वहीं, इस वर्ष के लंबित पड़े मामलों की संख्या करीब तीन हजार 300 के आसपास है. इस तरह लंबित पड़े मामलों की कुल संख्या करीब चार हजार है. इससे पहले सीआईडी महकमा ने विशेष अभियान चलाकर करीब पांच हजार मामलों का निपटारा किया था.

बिहार पहला राज्य जहां के सभी जिलों में एससी-एसटी थाना

बिहार देश का पहला राज्य हैं, जहां के सभी 40 पुलिस जिलों में एससी-एसटी मामले दर्ज करने के लिए विशेष थाना गठित है. यहां इससे संबंधित प्रत्येक महीने औसतन 700 मामले दर्ज होते हैं. इस तरह से सालाना औसतन करीब आठ से साढ़े आठ हजार मामले दर्ज होते हैं. यह देश में सबसे ज्यादा है और यहां निपटारे की दर भी सबसे ज्यादा है. इसमें करीब 10 फीसदी मामले फॉल्स साबित होने के कारण थाना स्तर पर ही समाप्त हो जाते हैं. शेष 90 फीसदी मामलों में चार्जशीट होते हैं. इसमें गवाह की समस्या समेत अन्य कई कारणों से मामले लंबित रह जाते हैं.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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