जेपी गंगा पथ से हटायी गयीं दुकानें, अब वेंडरों को मिलेगी प्रीफैब यूनिट
जेपी गंगा पथ पर अनियमित रूप से लग रहे ठेलों और दुकानों को शुक्रवार को हटा दिया गया. अब पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से यहां प्रीफैब दुकानें लगायी जा रही हैं, जिन्हें व्यवस्थित तरीके से वेंडरों को एलॉट किया जायेगा
संवाददाता, पटना जेपी गंगा पथ पर अनियमित रूप से लग रहे ठेलों और दुकानों को शुक्रवार को हटा दिया गया. अब पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से यहां प्रीफैब दुकानें लगायी जा रही हैं, जिन्हें व्यवस्थित तरीके से वेंडरों को एलॉट किया जायेगा. पाटलिपुत्र अंचल की कार्यपालक पदाधिकारी पुण्यातरु ने बताया कि करीब 130-150 दुकानों को हटाया गया है. त्योहारों के दौरान भी दुकानों को हटाया गया था, जिस कारण संख्या कम हो गयी थी. अब इन सभी वेंडरों को नयी और बेहतर सुविधा वाली दुकानें मिलेंगी. स्मार्ट सिटी की इस परियोजना का उद्देश्य गंगा पथ को सुंदर और व्यवस्थित बनाना है. प्रीफैब दुकानों की पेंटिंग और फिनिशिंग का काम चल रहा है. लगभग 15.45 करोड़ रुपये की लागत से बन रही ये दुकानें शहर में नये व्यावसायिक अवसर लायेगी. दीघा गोलंबर से एलसीटी घाट तक इन दुकानों की लगायी जायेगी. प्रत्येक दुकान में बेसिन, स्लैब, एग्जॉस्ट फैन, लाइट, इलेक्ट्रिक बोर्ड और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इन दुकानों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी पांच वर्षों तक रहेगी, जिसमें तीन साल की दोष दायित्व अवधि शामिल है. छह माह से लगी रहीं दुकानें: गंगा पथ पर दुकानें लगाये जाने का काम जून महीने से चल रहा है, लेकिन अभी तक सभी प्रीफैब यूनिट्स नहीं लग पायी हैं. काम की धीमी रफ्तार से लोग परेशान हैं. इस बीच धोखाधड़ी की कुछ शिकायतें भी सामने आयी थीं, जिसके बाद नगर निगम और स्मार्ट सिटी द्वारा लोगों को जागरूक किया गया. अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में लाइजनिंग का कार्य चल रहा है और एलॉटमेंट की प्रक्रिया शुरू होने में अभी थोड़ा समय लगेगा. तीन आकार की होंगी दुकानें: जेपी गंगा पथ पर लगने वाली 500 दुकानों में विभिन्न आकार की प्रीफैब यूनिट्स शामिल होंगी. इसमें 100 दुकानों का आकार 10 फुट लंबा, 6 फुट चौड़ा और 10 फुट ऊंचा होगा, जबकि 100 और दुकानों का आकार 8 फुट लंबा, 6 फुट चौड़ा और 10 फुट ऊंचा होगा. इसके अलावा, 300 दुकानों का आकार 6 फुट लंबा, 6 फुट चौड़ा और 10 फुट ऊंचा रहेगा. इस परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद संचालन और रखरखाव का कार्य पांच वर्षों तक किया जायेगा, जिसमें तीन साल की दोष दायित्व अवधि होगी.
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