Rohini Acharya Tweet: RJD की हार के बाद, लालू परिवार में भूचाल,रोहिणी आचार्य ने छोड़ी राजनीति, परिवार से भी किया किनारा
Rohini Acharya: RJD की करारी हार के अगले ही दिन लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने ऐसा बयान दिया जिसने न सिर्फ पार्टी, बल्कि पूरे राजनीतिक हलके को सन्न कर दिया.उन्होंने राजनीति ही नहीं, अपने परिवार से भी नाता तोड़ने का एलान कर दिया.
Rohini Acharya Tweet: बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-नीत और महागठबंधन की हार ने राजनीतिक हलचल तो पहले ही बढ़ा दी थी, लेकिन शनिवार की सुबह आई रोहिणी आचार्य की पोस्ट ने पूरे परिदृश्य को एक नए तूफान में झोंक दिया. सिंगापुर में रह रही रोहिणी, जिन्होंने 2022 में अपने पिता लालू प्रसाद यादव को अपनी किडनी दान कर पूरे बिहार का सम्मान पाया था, ने राजनीति छोड़ने और परिवार से रिश्ता तोड़ने की घोषणा कर दी.
‘मैं राजनीति छोड़ रही हूं… परिवार से भी नाता तोड़ रही हूँ’: रोहिणी की भावुक, लेकिन विस्फोटक पोस्ट
शुक्रवार को चुनाव परिणाम आए और शनिवार सुबह रोहिणी आचार्य ने एक्स पर एक पंक्ति ने हड़कंप मचा दिया.
“मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से भी नाता तोड़ रही हूं… संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही कहा… और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं.”
पोस्ट जितनी छोटी थी, उसके मायने उतने ही बड़े थे.
RJD में पिछले कुछ महीनों से चल रही अंदरूनी तनातनी के संकेत मिलते रहे थे, लेकिन इस खुली बगावत ने पहली बार उस तनाव को सतह पर ला दिया.
पटना एयरपोर्ट पर फूटे दर्द के शब्द- ‘मेरा कोई परिवार नहीं… घर से निकाल दिया जाता है’
दिल्ली से पटना लौटते समय मीडिया ने उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने कैमरे के सामने वह कहा, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी.
रोहिणी ने कहा—
“मेरा कोई परिवार नहीं है. आप संजय यादव, रमीज और तेजस्वी से पूछिए. उन्होंने ही मुझे परिवार से बाहर निकाला है. जब भी आप संजय यादव और रमीज़ का नाम लेते हैं, घर से निकाल दिया जाता है, गालियां दी जाती हैं, चप्पलों से मार दिया जाता है.”
एक बड़े राजनीतिक परिवार में इस तरह के आरोप पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं.
तेज प्रताप यादव ने दिया साथ
तेज प्रताप यादव ने इंस्टाग्राम के जरिये अपनी पार्टी के अकाउंट से लिखा था, ‘कल की घटना ने दिल को भीतर तक झकझोर दिया है. मेरे साथ जो हुआ, वह मैं सह गया. लेकिन मेरी बहन के साथ जो अपमान हुआ, वह किसी भी हाल में असहनीय है. सुन लो जयचंदो, परिवार पर वार करोगे तो बिहार की जनता तुम्हें कभी माफ नहीं करेगी.’
एक्स पर दुबारा छलका दर्द
दोपहर साढ़े ग्यारह बजे रोहिणी आचार्य ने एक्स पर लिखा-
कल एक बेटी, एक बहन, एक शादीशुदा महिला, एक मां को जलील किया था, गंदी गालियां दी गयीं, मारने के लिए चप्पल उठाया गया, मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया. सच का समर्पण नहीं किया, सिर्फ और सिर्फ इस वजह से मुझे बेइज्जती झेलनी पड़ी..
कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए मां-बहनों को छोड़ आयी, मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया. मुझे अनाथ बना दिया गया…
आप सब मेरे रास्ते कभी ना चलें, किसी घर में रोहिणीं जैसी बेटी-बहन पैदा न हो..
RJD में ‘संजय यादव फैक्टर’- क्या यही था असली तनाव?
राज्यसभा सांसद संजय यादव तेजस्वी यादव के मुख्य राजनीतिक सलाहकार और चुनावी रणनीतिकार माने जाते हैं. पार्टी के अंदर उन्हें “शैडो कमांडर” कहा जाता है, यानी बिना पद के, लेकिन बेहद प्रभावशाली.
रोहिणी और तेज प्रताप दोनों समय-समय पर इस ‘ऊपर से थोपे गए प्रभाव’ पर असहमति जताते रहे हैं.
चुनाव से पहले भी रोहिणी ने कई पोस्ट में शिकायत जताई थी कि—
“पार्टी में असली नेतृत्व किन हाथों में है?”
उसी दौरान एक फेसबुक पोस्ट भी वायरल हुआ था जिसमें संजय यादव के प्रचार बस में सबसे आगे बैठने पर सवाल उठाया गया था. रोहिणी ने उसे साझा कर संकेत दिया कि यह उन्हें भी खटकता है.
किडनी दान और आत्मसम्मान—रोहिणी ने बार-बार जताया था मन का दर्द
जब वे 2022 में अपने पिता के लिए सिंगापुर में ऑपरेशन थिएटर जा रही थीं, उन्होंने कहा था—
“मैंने एक बेटी व बहन होने का धर्म निभाया है. मुझे किसी पद की लालसा नहीं है. मेरे लिए मेरा स्वाभिमान सर्वोपरि है.”
ऐसा लगा कि चुनाव के दौरान और बाद में स्वाभिमान ही उनके निर्णय का केंद्र बन गया.
टिकट विवाद- क्या यह भी एक बड़ी वजह थी?
RJD के भीतर लंबे समय से यह चर्चा चल रही थी कि रोहिणी इस चुनाव में लड़ना चाहती थीं. कहा गया कि तेजस्वी यादव सहमत नहीं थे. रोहिणी का मानना था कि 2024 में सारण से हार के बाद संजय यादव की सलाह पर उन्हें टिकट नहीं दिया गया.
हालांकि, उन्होंने बाद में यह स्पष्ट किया कि उनकी कोई चुनावी महत्वाकांक्षा नहीं है. लेकिन पार्टी के भीतर यह मामला लगातार फुसफुसाहट में जिंदा रहा.
तेज प्रताप बनाम संजय यादव-पुराना अध्याय फिर खुला
तेज प्रताप यादव पहले ही संजय यादव को “जयचंद” कहकर निष्कासित हो चुके हैं. अब रोहिणी के आरोपों ने यह साफ कर दिया है कि यादव परिवार के भीतर संजय यादव की भूमिका को लेकर गहरा अविश्वास मौजूद है. RJD में यह मुद्दा अब और खुलकर सामने आने लगा है.
राजद-महागठबंधन की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर सवालों का पहाड़ खड़ा हो गया है. तेजस्वी यादव पर रणनीति विफल होने और उम्मीदवार चयन को लेकर दबाव बढ़ रहा है. ऐसे समय में रोहिणी का यह कदम पार्टी के संकट को और गहरा कर देता है.
यह सिर्फ पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि नेतृत्व की दिशा को लेकर खुला विद्रोह है.
NDA की प्रतिक्रिया- सहानुभूति और हमला दोनों
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा—
“जिस बेटी ने अपने पिता को किडनी दान की, वह परिवार से निकाल दी गई… यह बेहद दुखद है.”
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी तीखी टिप्पणी की—
“लालू जी को धृतराष्ट्र नहीं बनना चाहिए. जिस बेटी ने जीवन दिया, वह घर छोड़ रही है. यह राजनीति के लिए भी शर्मनाक है.”
NDA इन घटनाओं को RJD की टूटन का प्रतीक बताने में जुटा है.
RJD की चुप्पी—सबसे बड़ा सवाल
तेजस्वी यादव, संजय यादव, रमीज खान—तीनों की तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. चुनाव में हार और अब घर के भीतर उठा तूफान, दोनों ने नेतृत्व को असहज कर दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता भी इस विवाद को “परिवार का निजी मामला” बताकर बच रहे हैं,
लेकिन यह मामला अब केवल निजी नहीं रहा. यह RJD के नेतृत्व संकट की एक बड़ी कहानी बन चुका है.
RJD का परिवार राजनीति की सबसे संगठित विरासतों में गिना जाता था. लेकिन पिछले दो वर्षों में, तेज प्रताप का अलगाव, मीसा भारती की सीमित भूमिका, तेजस्वी की पार्टी पर पकड़ और अब रोहिणी का अलगाव
यह साफ संकेत है कि पार्टी और परिवार दोनों में दरारें गहरी हो रही हैं.
