बिहार के 900 से ज्यादा पोखरों की होगी जांच, एनजीटी ने तय किये ये सात पारामीटर

Ponds of Bihar: कार्यपालक अभियंता, दिलीप कुमार ने बताया कि भागलपुर में पीएचईडी की नोडल लैब को नेशनल अक्रेडटेशन बोर्ड फॉर, टेस्टिंग एंड कॉलीब्रेशन लेबोरेटरीज से मान्यता मिली है. यहां जल की जांच की मान्यता अंतरराष्ट्रीय स्तर की है. लैब में इंफ्रास्ट्रक्चर, मैनपावर एवं इक्यूपमेंट भी बढ़े हैं.

By Ashish Jha | April 17, 2025 9:57 AM

Ponds of Bihar: पटना. बिहार में सार्वजनिक तालाब और पोखरों के पानी की जांच होगी. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर 920 तालाबों और पोखरों के पानी की जांच की जानी है. पानी की जांच के लिए भागलपुर की लेबोरेटरी को नोडल लैब बनाया गया है. यहां भागलपुर समेत बांका, बेगूसराय, खगड़िया और मुंगेर से आए पानी की जांच हो सकेगी. एनजीटी के निर्देशों के पालन के लिए पटना, मुजफ्फरपुर, अररिया, बिहारशरीफ और सासाराम में भी लैब बनाई गई हैं.

भागलपुर लैब से जोड़ा गया 82 तालाब

जानकारों ने बताया कि नोडल लैब में पानी के सात पारामीटर की जांच होगी. नोडल लैब मेंकलर, टेंप्रेचर, डिजाल्बड ऑक्सीजन (डीओ), बॉयो केमिकल डिमांड (बीओडी), केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी), टोटल कॉलीफॉर्म (टीसी) और फेकल कॉलीफॉर्म (एफसी) पारामीटर की जांच की सुविधा दी गई है. भागलपुर नोडल लैब से 82 तालाबों को जोड़ा गया है. यहां भागलपुर के 52, बांका के 15, बेगूसराय के 6, खगड़िया के 5 और मुंगेर के 4 तालाबों जांच होगी. यह जांच हर तीन महीने पर होती है.

मछली पालन के लिए जांच जरूरी

अभियंता बताते हैं कि पीएचईडी की क्षेत्रीय जल जांच प्रयोगशाला (नोडल लैब) में तालाबों या पोखरों के पानी की जांच में यह पता चलता है कि यहां का पानी जहरीला तो नहीं है. यह मछली पालन के लिए उपयोगी है या नहीं. जांच के दौरान देखा जाता है कि मछली पालन के लिए तालाब कितना उपयोगी है. इसका टेंप्रेचर कितना है एवं पानी में ऑक्सीजन कितनी घुली हुई है. दरअसल, जल जीवन हरियाली अंतर्गत भागलपुर समेत पांच जिले के पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले तालाबों व पोखरों की जल की जांच कराने की जिम्मेदारी मिली है. पीएचईडी के अधिकारी इन पोखरों से सैंपल कलेक्ट कर जल की जांच कराएंगे.

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