पटना के ब्लाइंड स्कूल में मासूम से दो साल तक दुष्कर्म, आरोपी क्लर्क के खिलाफ IG ने स्पीडी ट्रायल का दिया आदेश

Patna News: पटना के नेत्रहीन स्कूल में पढ़ने वाली 12 साल की मासूम बच्ची के साथ दो साल तक दुष्कर्म हुआ. जिस पर भरोसा किया गया, उसी क्लर्क ने मासूमियत को कुचला. पटना रेंज के IG जितेंद्र राणा ने मंगलवार को पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि स्पीडी ट्रायल के लिए आवश्यक कार्रवाई जल्द शुरू की जाए.

By Anshuman Parashar | July 2, 2025 8:24 AM

Patna News: पटना के अगमकुआं स्थित ब्लाइंड स्कूल में 12 साल की छात्रा के साथ दो वर्षों तक लगातार दुष्कर्म की शर्मनाक घटना सामने आई है. आरोपी क्लर्क अजीत कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है. अब इस संवेदनशील मामले में तेज़ सुनवाई की तैयारी शुरू हो गई है.

पटना रेंज IG ने दिया स्पीडी ट्रायल का निर्देश

मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना रेंज के आईजी जितेंद्र राणा ने मंगलवार को पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि केस की गहराई से जांच हो और स्पीडी ट्रायल के लिए आवश्यक कार्रवाई जल्द शुरू की जाए. उन्होंने कहा कि आरोपी अजीत कुमार की पृष्ठभूमि की भी जांच की जाए कहीं पहले भी उसने किसी के साथ ऐसा अपराध तो नहीं किया. जरूरत पड़ने पर रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी.

10 साल की उम्र से बन रही थी शिकार

पीड़ित बच्ची 2018 से दृष्टिबाधित विद्यालय के छात्रावास में रह रही थी. बताया जा रहा है कि आरोपी क्लर्क अजीत ने लगभग दो साल पहले उसके साथ गलत हरकतें शुरू की थीं. उस समय बच्ची की उम्र मात्र 10 साल थी. बीते चार दिनों में परिजनों को घटना की जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने अगमकुआं थाने में FIR दर्ज कराई. पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

महज एक बच्ची नहीं, टूट गया पूरा परिवार

पीड़िता के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस घटना ने उनके पूरे परिवार को झकझोर दिया है. बच्ची मानसिक रूप से बुरी तरह डरी और सहमी हुई है. पूरा परिवार उसे संभालने में जुटा है. उन्होंने पुलिस और न्याय व्यवस्था से अपील की कि आरोपी को कठोरतम सजा दी जाए. पिता ने यह भी बताया कि महिला आयोग से उन्हें कॉल आया था, लेकिन फिलहाल वे पटना से बाहर हैं और लौटने के बाद ही संबंधित अधिकारियों से मिल सकेंगे.

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बालिका छात्रावास में पुरुष स्टाफ की बहुलता भी सवालों में

अब तक की पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि नेत्रहीन बालिकाओं के हॉस्टल में अधिकतर कर्मी पुरुष हैं, जिससे कई स्तरों पर लापरवाही और संवेदनहीनता की आशंका जताई जा रही है. इस पूरे मामले ने नेत्रहीन बच्चों की सुरक्षा और संस्थागत जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.