Patna Ganga Ghat: पटना के इन गंगा घाटों की रोचक है स्टोरी, सम्राट अशोक से लेकर एचआर गलवी नाम के अंग्रेज से जुड़ा है इतिहास
Patna Ganga Ghat: पटना के गंगा घाट किसी विरासत से कम नहीं है. अलग-अलग घाटों की बेहद रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं. कहीं सम्राट अशोक, कहीं गुरु गोविंद सिंह तो कहीं एचआर गलवी नाम के अंग्रेज से इतिहास जुड़े हुए हैं.
Patna Ganga Ghat: पटना के गंगा घाटों की कहानियां बेहद ही रोचक है. रानीघाट, कंगन घाट, गुलबी घाट, अंटा घाट या फिर खाजेकलां घाट हो, हर घाट की अलग ही स्टोरी है. रानीघाट की बात करें तो, यहां देश का इकलौता जोड़े वाला शिवलिंग है, जिसका नाम भूतेश्वरनाथ मंदिर है. कहा जाता है कि, सम्राट अशोक जोड़े शिवलिंग मंदिर में तंत्र साधना के लिए आते थे. कुम्हरार से सम्राट अशोक की पत्नी महारानी देवी सुरंग से इस घाट पर स्नान करने आती थी. जिसकी वजह से इस घाट का नाम ही रानी घाट पड़ गया. यह पटना में गंगा नदी के किनारे पर सबसे लंबा घाट है. इसकी लंबाई करीब 119.5 मीटर है.
गुलबी घाट
पटना के गुलबी घाट को लेकर कहा जाता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी के समय एचआर गलवी नाम का अंग्रेज जहाज का कप्तान था. गुलबी घाट से एचआर गलवी पाटलिपुत्र आते-जाते थे. जिसके कारण इस घाट का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा. आज गुलबी घाट पटना के श्मशान घाट के नाम से प्रसिद्ध है.
खाजेकलां घाट
खाजेकलां दो फारसी शब्दों को जोड़कर बना है. ख्वाजा और कलां यानी कि श्रेष्ठ. दस्तावेजों में विख्यात सर्वेक्षक फ्रांसिस बुकानन के प्लान ऑफ पटना 1812 में इस घाट को सुंदर, धार्मिक और व्यापारिक दृष्टि से उन्नत बताया गया है. कई सालों से लोग खाजेकलां घाट पर स्नान और अंत्येष्टि कर्म के लिए पहुंचते हैं.
कंगन घाट
पटनासिटी में तख्त श्री हरिमंदिर पटना साहिब से करीब 700 गज की दूरी पर कंगन घाट स्थित है. कहा जाता है कि बचपन में सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज इसी घाट पर रोज खेला करते थे. गंगा में अठखेलियों के दौरान एक दिन उन्होंने अपने हाथ का कंगन गंगा नदी में फेंक दिया. कंगन को निकालने के लिए मांझी गए तो उन्होंने एक अनोखा दृश्य देखा. उन्होंने देखा कि हर तरफ गंगा में कंगन है. तभी गुरुजी की तरफ से कहा गया कि गंगा हमारी तिजोरी है. तुम सिर्फ मेरी कंगन निकाल कर ले आओ. बाकी वहीं, रहने दो. उसके बाद ही उस घाट का नाम कंगन घाट पड़ा.
अंटा घाट
पटना के अंटा घाट की बात करें तो, यह सालों से थोक और खुदरा व्यापार का बाजार रहा है. इसकी लंबाई करीब 60 मीटर है. यहीं पर बिहार का सबसे पुराना युरोपीयन क्लब स्थित है, जिसे अब मशहूर बांकीपुर क्लब के नाम से जाना जाता है. अंटा घाट के आस-पास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, चेंबर ऑफ कॉमर्स समेत कई जरूरी संस्थान होने के कारण यह घाट और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.
