पहलगाम आतंकी हमला: छुट्टी मनाने कश्मीर गए IB अफसर का शव लौटेगा बिहार, पत्नी-बच्चों को बचा गए मनीष
Pahalgam Terror Attack: बिहार के रहने वाले IB अफसर की मौत पहलगाम में हुए आतंकी हमले में हो गयी. उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों की जान बचा ली. छुट्टी मनाने कश्मीर गए मनीष का अब शव बिहार लौटेगा. परिजनों में मातम पसरा है.
Pahalgam Terrorist Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगांव में मंगलवार की दोपहर हुए आतंकी हमले में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गयी. जिसमें बिहार निवासी मनीष रंजन भी शामिल हैं जो रोहतास जिला के करगहर थाना अंतर्गत अरूही गांव के रहने वाले थे. मनीष रंजन पिछले दो साल से आईबी कार्यालय हैदराबाद में सेक्शन ऑफिसर के पद पर तैनात थे. अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मनीष छुट्टी में कश्मीर घूमने गए हुए थे. जहां आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी. मनीष के घर में मातम पसरा हुआ है.
पत्नी और बच्चों को बचाया, नहीं बच सकी खुद की जान
मनीष रंजन को आतंकियों ने उनकी पत्नी और दो बच्चों के सामने ही गोली मार दी. मनीष रंजन की पत्नी जया देवी और बच्चे सुरक्षित हैं.सासाराम शहर के गौल्क्षणी मोहल्ले में मनीष रंजन का पुस्तैनी घर भी है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो गोलियों की आवाज सुनकर मनीष ने पत्नी और बच्चों को दूसरी दिशा में भागने को कहा. इसी दौरान परिवार से वह अलग हो गये और आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी. मनीष की पत्नी ने बताया कि उनके पति का नाम आतंकवादियों ने पूछा और गोली मार दी.
दो बच्चों के पिता थे मनीष, रिटायर शिक्षक हैं पिता
बताया जाता है कि मनीष के पिता मंगलेश मिश्रा स्कूल में शिक्षक थे. 2010 में मनीष की शादी हुई थी. 12 साल के बेटा और 8 साल की बेटी के वो पिता थे. मनीष तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. उनके पिता डॉक्टर मंगलेश कुमार मिश्रा पश्चिम बंगाल के झालदा में इंटरमीडिएट कॉलेज में शिक्षक थे. रिटायर होने के बाद वो परिवार के साथ झालदा में ही रहते हैं. मनीष का शव आज परिजनों के पास लाया जाएगा. बिहार में ही उनका अंतिम संस्कार भी किया जाएगा.
घर में पसरा है मातम
मनीष के एक भाई राहुल रंजन भारतीय खाद्य निगम में और छोटे भाई विनीत रंजन एक्साइज विभाग में कार्यरत हैं जो अभी पश्चिम बंगाल में पोस्टेड हैं. मनीष रंजन पहले रांची में कार्यरत थे उसके बाद उनका ट्रांसफर हैदराबाद हुआ था. मनीष रंजन के दादा पारस नाथ मिश्रा भी प्रधानाध्यापक रह चुके हैं जो रिटायर होने के बाद में सासाराम में रहते थे. करीब 20 साल पहले उनका निधन हो चुका है. घर में मातम पसरा हुआ है.
(करगहर से रजनीकांत पांडेय की रिपोर्ट)
