लैंड फॉर जॉब: सैकड़ों समर्थकों के साथ ईडी दफ्तर पहुंचे लालू यादव, जांच एजेंसी ने कई घंटों तक पूछे सवाल

Land For Job: जमीन के बदले नौकरी मामले में राजद सुप्रीमो लालू यादव से ईडी ने पूछताछ की. पूछताछ के बाद लालू यादव ईडी दफ्तर से बाहर निकलें.

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 19, 2025 11:01 AM

Land For Job Case: जमीन के बदले नौकरी मामले में उलझे राजद सुप्रीमो लालू यादव बुधवार को ईडी दफ्तर पहुंचे. अपनी बड़ी बेटी सह राजद की सांसद मीसा भारती के साथ आरजेडी प्रमुख ईडी के पटना स्थित कार्यालय पहुंचे. लैंड फॉर जॉब मामले में उनसे पूछताछ हुई. पटना में ईडी दफ्तर के आसपास बड़ी संख्या में राजद के कार्यकर्ता और समर्थक जमा हुए हैं.

सैकड़ों समर्थकों के बीच पहुंचे लालू

लालू यादव बुधवार को सुबह 11 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे. ईडी ने उन्हें समन भेजकर 11 बजे ही पटना स्थित दफ्तर बुलाया था. लालू यादव और मीसा भारती ईडी के कार्यालय पहुंचे तो सैकड़ों की तादाद में ईडी ऑफिस के बाहर राजद के कार्यकर्ता और समर्थक जमा थे. लालू यादव जिंदाबाद के नारे ईडी ऑफिस के बाहर लगे. ताजा जानकारी के अनुसार, करीब तीन बजे तक उनसे पूछताछ चलती रही.

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तेजस्वी यादव की आयी प्रतिक्रिया…

ईडी की पूछताछ पर तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे परिवार को इससे डर नहीं लगता है. यह पहली बार नहीं है जब ईडी पूछताछ कर रही है. वहीं राजद के समर्थकों व विधायकों ने इस कार्रवाई पर केंद्र सरकार को घेरा. इधर, समर्थकों के हुजूम के बीच लालू यादव ईडी कार्यालय के अंदर गए. जहां अब ईडी के सवालों का वो सामना करेंगे.

राबड़ी और तेजप्रताप से हो चुकी है पूछताछ

लालू को तलब करने से एक दिन पहले मंगलवार को ईडी ने राबड़ी देवी और तेजप्रताप यादव को पूछताछ के लिए बुलाया था. चार-चार घंटे तक दोनों से अलग-अलग पूछताछ की गयी थी. ईडी के अधिकारियों ने जमीन के बदले नौकरी मामले से जुड़े सवालों की लिस्ट दोनों के सामने रखी और उनसे जवाब मांगा.

क्या है जमीन के बदले नौकरी मामला

लालू यादव जब रेलमंत्री थे तक 2004 से 2009 के बीच विभिन्न रेलमंडलों में जमीन लेकर कई लोगों को ग्रुप-डी में नौकरी दी गयी थी. नौकरी लेने वालों से जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी के नाम करवायी गयी थी. आरोप के अनुसार, लालू परिवार ने बिहार मे एक लाख स्वॉयर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपए में हासिल कर ली थी, जबकि उस समय के सरकारी दर के अनुसार, जमीन की कीमत करोडों मे थी. इतने कम पैसों मे जमीन लेने के बाद ज्यादातर केस में जमीन मालिक को कैश मे भुगतान किया गया.