Jeevika Didi: अब जीविका दीदी चलाएंगी अपनी खुद की डेयरी, दूध उत्पादन से लेकर ब्रांडिंग तक संभालेंगी कमान

Jeevika Didi: बिहार की ग्रामीण महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश की है. अब तक सिर्फ दूध उत्पादन करने वाली जीविका दीदियां जल्द ही अपनी खुद की डेयरी यूनिट शुरू करने जा रही हैं. इससे वे न केवल दूध बेचेंगी, बल्कि उसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग भी खुद करेंगी, जिससे आमदनी में बड़ा इजाफा होगा.

By Abhinandan Pandey | May 8, 2025 7:47 AM

Jeevika Didi: बिहार की ग्रामीण महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश कर रही हैं. अब तक केवल दूध उत्पादन तक सीमित जीविका दीदियां अब अपनी खुद की डेयरी यूनिट की शुरुआत करने जा रही हैं. कौशिकी महिला दूध उत्पादक कंपनी लिमिटेड के बैनर तले संचालित यह पहल, अब अपने ब्रांड के तहत दूध की पैकेजिंग और विपणन की दिशा में एक बड़ा कदम है.

जीविका दीदियों की यह यात्रा वर्ष 2017 में शुरू हुई थी, जब केवल 600 गांवों की 36,000 महिलाएं इससे जुड़ी थीं. धीरे-धीरे यह आंदोलन इतना व्यापक हुआ कि आज दो लाख से अधिक महिलाएं दूध उत्पादन से जुड़कर ना सिर्फ अपनी पहचान बना रही हैं, बल्कि सालाना 13 लाख 768 रुपये का टर्नओवर भी कर रही हैं. हर जीविका दीदी औसतन 11 हजार रुपये प्रति माह की आमदनी कर रही है.

सभी जिलों में बनाया जाएगा मिल्क पुलिंग प्वाइंट

मदर डेयरी और सुधा को अभी तक जो दूध भेजा जाता था, वह अब अपनी ही डेयरी में प्रोसेस कर बाजार में उतारा जाएगा. इसके लिए सभी जिलों में मिल्क पुलिंग प्वाइंट बनाए गए हैं, जहां से दूध कलेक्ट कर ऑनलाइन भुगतान किया जाता है. वर्तमान में जीविका दीदियों द्वारा प्रतिदिन 80 हजार लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है.

तीन से पांच गायों की मालकिन बन चुकी हैं जीविका दीदी

इस परियोजना से जुड़ने के बाद कई दीदियों ने पशुपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाया है. पहले जिनके पास एक गाय थी, अब वे तीन से पांच गायों की मालकिन बन चुकी हैं. चारे और पोषण की व्यवस्था में भी जीविका की बड़ी भूमिका है. अब तक 4898 मीट्रिक टन पशु आहार, 116 मीट्रिक टन मिनरल मिश्रण, 110 मीट्रिक टन हरा चारा और 69,513 डी-वार्मर की आपूर्ति की गई है.

जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु वर्मा ने बताया कि जल्द ही दीदियों की अपनी डेयरी ब्रांड की शुरुआत होगी. इससे न सिर्फ उन्हें अधिक मुनाफा होगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. यह कदम महिलाओं की आर्थिक आज़ादी और ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है.

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