Bihar Politics: जदयू के इस बड़े नेता ने की लालू यादव से मुलाकात, बिहार में सियासी हलचल तेज
Bihar Politics: बिहार की सियासत में उस वक्त हलचल तेज हो गई जब जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व MLC रणविजय सिंह ने अचानक आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की. राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर हुई इस मुलाकात को भले ही रणविजय ने "शिष्टाचार भेंट" बताया हो, लेकिन चुनावी साल में इसे लेकर राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं.
Bihar Politics: बिहार की सियासत एक बार फिर हलचल में है. वजह है जेडीयू (JDU) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद रणविजय सिंह की आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात. गुरुवार को पटना स्थित राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर दोनों नेताओं के बीच लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
रणविजय सिंह की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब राज्य में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां धीरे-धीरे तेज हो रही हैं. ऐसे में जेडीयू नेता का विपक्षी दल के शीर्ष नेता से मिलना केवल ‘शिष्टाचार भेंट’ तक सीमित माना जाए या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक रणनीति है, यह सवाल उठने लाजिमी हैं.
लालू से निजी संबंध का हवाला
मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए रणविजय सिंह ने साफ किया कि यह कोई राजनीतिक मीटिंग नहीं थी. उन्होंने कहा, “लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन था. मैं उन्हें शुभकामनाएं देने गया था. उनसे मेरा निजी और पारिवारिक संबंध है. इस मुलाकात को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए.”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुलाकात में किसी तरह की राजनीतिक चर्चा नहीं हुई है और न ही भविष्य में किसी राजनीतिक बदलाव के संकेत हैं. हालांकि जब पत्रकारों ने चुनावी वर्ष में इस मुलाकात के समय पर सवाल उठाया तो रणविजय मुस्कराते हुए बोले, “अभी तो सिर्फ बधाई देने आया था.”
क्या बदल रहा है समीकरण?
हालांकि राजनीतिक जानकार इस मुलाकात को यूं ही नजरअंदाज करने को तैयार नहीं हैं. बिहार की राजनीति में ऐसा कई बार हुआ है जब निजी संबंधों के बहाने शुरू हुई मुलाकातों ने बड़ा राजनीतिक रूप ले लिया. रणविजय सिंह का लालू यादव से मिलना भी कुछ ऐसा ही संकेत दे रहा है.
वर्तमान में जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों में उतार-चढ़ाव की चर्चाएं लगातार चल रही हैं, ऐसे में यह मुलाकात गठबंधन समीकरणों को लेकर अटकलों को और भी हवा देती है. अब यह तो वक्त बताएगा कि यह मुलाकात महज एक ‘शिष्टाचार भेंट’ थी या कोई नई राजनीतिक पटकथा लिखी जा रही है. लेकिन इतना तय है कि बिहार की सियासत में इसका असर जरूर दिखेगा.
