ज्वाइंट जमीन में किसका कितना हिस्सा है, इसे अब दर्ज किया जायेगा

राज्य में फार्मर रजिस्ट्री का कार्य चल रहा है. इस दौरान कई पेंच सामने आये हैं. इसे देखते हुए कृषि विभाग की ओर से समस्याओं के समाधान की मांग की गयी थी.

By DURGESH KUMAR | November 30, 2025 10:47 PM

– बिहार में 40 फीसदी से अधिक संयुक्त स्वामित्व (ज्वाइंट ओनरशिप) वाली जमीन परिषाषित या विभाजित नहीं – जमाबंदी का डेटा एकड़़ में उपलब्ध कराया जायेगा, अभी डिसमिल में बताया जाता है मनोज कुमार, पटना राज्य में फार्मर रजिस्ट्री का कार्य चल रहा है. इस दौरान कई पेंच सामने आये हैं. इसे देखते हुए कृषि विभाग की ओर से समस्याओं के समाधान की मांग की गयी थी. इस पर अमल करते हुए राजस्व विभाग, एनआइसी, सीपीएमयू (सेंट्रल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट) की बैठक हुई. इसमें कई सुधारों के प्रस्ताव दिये गये. जमाबंदी का डेटा एकड़ में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया गया है. इसमें संपूर्ण दशमलव अंक को भी लिखा जायेगा. डिसमिल का उपयोग नहीं किया जायेगा. संयुक्त स्वामित्व (ज्वाइंट ओनरशिप) के अंश या सीमा का निर्धारण का सुझाव दिया गया है. बिहार में 40 फीसदी से अधिक संयुक्त स्वामित्व के मामले परिभाषित या विभाजित नहीं हैं. जमाबंदी में कुल क्षेत्रफल का उल्लेख है. इस प्रकार के मामलों में उनके अंश को दर्ज करने का प्रस्ताव दिया गया है. रैयतों के पूर्वज से उनका संबंध स्पष्ट रूप से लिखा जायेगा रैयत के पूर्वजों से उनका संबंध स्पष्ट रूप से दर्ज किया जायेगा. आरओआर (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स) में भूमि का प्रकार दर्ज किया जायेगा. भूमि कृषि की है या गैर कृषि है, इसे अंकित किया जायेगा. मृत किसानों के नाम जमाबंदी से हटाने का सुझाव दिया गया. रैयत के पिता व पति का स्पष्ट संबोधन लिखा जायेगा रैयत किसानों के खाता, खेसरा और रकवा को उनकी जमाबंदी में अपडेट कराया जायेगा. जमाबंदी में रैयत के पिता, पति या अन्य संबंधी का संबोधन स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं है. इस तरह के मामले में स्पष्ट रूप से संबोधन लिखा जायेगा. इसे एपीआइ के माध्यम से उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है. समीक्षा में ये मामले आये थे सामने वर्तमान में आरओआर (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स) में जमाबंदी के प्रकार दर्ज नहीं हैं. कृषि व गैर कृषि भूमि परिभाषित नहीं है. जमाबंदी सिंगल है या ज्वाइंट ये स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं है. रैयत किसानों के खाता खेसरा अपडेट नहीं रहने के कारण बकेटिंग का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. इसके अलावा राजस्व विभाग ने भी कई मांगें रखी हैं. इ-केवाइसी और बकेट क्लेम की प्रक्रिया को सीएससी के माध्यम से कराने का अनुरोध किया गया है. 70 फीसदी से कम नाम के मिलान वाले मामलों में राजस्व कर्मी से जांच का प्रस्ताव दिया गया है. गलत तरीके से प्रदर्शित हो रहे लैंड डिटेल्स में सुधार की मांग की गयी है.

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