स्टेशन पर भीख मांगकर नशा करनेवाले बच्चे अब सीख रहे हिंदी का ककहरा, रेलवे प्लेटफॉर्म पर सजती है अनोखी पाठशाला

Hindi Diwas 2021/Indian Railway news: जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरपुर स्टेशन पर तीन महीने से यह पाठशाला चल रही है. बच्चों को ककहरा सहित अंग्रेजी के शब्दों की पहचान कराने के साथ ही बोलने और लिखने सिखाया जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2021 8:15 PM

नितेश कुमार: बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर इन दिनों रेलवे चाइल्ड लाइन की अनोखी पाठशाला सज रही हैं. एकांत वाली जगहों पर पहले ये बच्चे कश लगाने के लिए जुटते थे, लेकिन अब पढ़ाई करते आते हैं. रेलवे चाइल्ड लाइन की ओर से रोजाना शाम में पाठशाला लगता है. कर्मचारी रोजाना बच्चों को पढ़ाते है.

दर्जनभर से अधिक बच्चे पढ़ने आते हैं. ये वही बच्चे हैं, जो बचपन से ही नशे के आदि हो चुके थे. पूरा दिन उनका समय बोतल चुनने में बीतता था. वे तरह-तरह के नशे की गिरफ्त में आ चुके थे. जब रेलवे चाइल्ड लाइन ने बच्चों को नशा करते हुए देखा था, तो स्थानीय रेल अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें पढ़ाने की पहल की. बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा रेलवे चाइल्ड लाइन ने लिया. सुनैना, कल्पना व सत्यम सहित अन्य बच्चों ने बताया कि उन्हें पढ़ने में मजा आ रहा है.

अभी सीख रहे शब्दों की पहचान व उच्चारण– करीब तीन महीने से यह पाठशाला चल रही है. बच्चों को ककहरा सहित अंग्रेजी के शब्दों की पहचान कराने के साथ ही बोलने और लिखने सिखाया जा रहा है. चाइल्ड लाइन में अनिता, कुमकुम, सोनी, गुंजा, श्यामली, चंदन, राजेश व अजय की तैनाती है. शाम के वक्त जिसकी भी ड्यूटी रहती है, वह बच्चों को पढ़ाने के लिए चला जाता है.

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पाठशाला के लिए कर चुके हैं जगह की मांग- रेलवे चाइल्ड लाइन ने रेल प्रशासन से कई बार बच्चों को पढ़ाने के लिए जगह की मांग की है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर पहल भी की जा रही है. रेलवे चाइल्ड लाइन के केंद्र समन्वयक अनिल कुमार ने कहा कि बच्चों को पढ़ाने के लिए महिला स्टॉफ को भी जिम्मेदारी दी गयी है. अभी खुले में ही पढ़ाई होती है. बच्चे दिलचस्पी दिखा रहे हैं. थोड़ी सुविधा मिल जायेगी, तो संख्या और बढ़ सकती है.

अभी 14 बच्चे रेगुलर पढ़ाई कर रहे हैं. रोजाना उनका अटेंडेंस भी बनता है. सभी में पढ़ाई को लेकर काफी ललक है. शाम को खुद ही सभी स्लेट, पेन, पेंसिल व कॉपी लेकर आते हैं. चाइल्ड लाइन की ओर से उन्हें उपलब्ध कराया गया है. वे अब पढ़ने की बात कहते हैं, नशापान छोड़ चुके हैं.

-अनिल कुमार, केंद्र समन्वयक- रेलवे चाइल्ड लाइन

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