प्राइवेट स्कूलों के फीस मामले में हाइकोर्ट का हस्तक्षेप करने से इन्कार

कोरोना वायरस को लेकर किये गये लॉकडाउन की अवधि में राजधानी पटना के प्राइवेट स्कूलों के लिए पटना के डीएम ने फीस से संबंधित जो आदेश दिया था, उसमें हस्तक्षेप करने से पटना हाइकोर्ट ने इन्कार कर दिया.

By Prabhat Khabar | June 6, 2020 5:41 AM

पटना : कोरोना वायरस को लेकर किये गये लॉकडाउन की अवधि में राजधानी पटना के प्राइवेट स्कूलों के लिए पटना के डीएम ने फीस से संबंधित जो आदेश दिया था, उसमें हस्तक्षेप करने से पटना हाइकोर्ट ने इन्कार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट विद्यालयों को अगर ज्यादा परेशानी है, तो वे डीएम एवं आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव से ही इस मामले में किसी प्रकार का अनुरोध करें. उन्हें इस मामले में चार सप्ताह में उचित निर्णय लेने को कहा गया है. पटना के डीएम ने कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की अवधि में बंद रखे गये प्राइवेट विद्यालयों को 10 अप्रैल को एक आदेश जारी किया था.

इस आदेश में विद्यालयों के प्रबंधकों से कहा गया था कि वे अपने विद्यालय में पढ़ने वाले अभिभावकों से तीन महीने का नहीं बल्कि एक महीने का केवल ट्यूशन फीस लें. किसी अन्य प्रकार का कोई भी चार्ज नहीं लें. बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए व्हाट्सएप, इमेल आदि की सुविधाएं दें. उनके स्कूल में जो कर्मचारी एवं अन्य स्टाफ हैं, उन्हें वेतन देने में कटौती भी नहीं करें .

रिट याचिका में उठाये गये थे कई मुद्देइसी मुद्दे को लेकर सेंट पॉल इंटरनेशनल स्कूल, पटना ने हाइकोर्ट में एक रिट याचिका अधिवक्ता गौतम केजरीवाल ने दायर की थी. इस याचिका के माध्यम से जिला प्रशासन के आदेश को रद्द करने की मांग हाइकोर्ट से की गयी थी. साथ ही प्राइवेट विद्यालयों को हो रही दिक्कतों के बारे में भी बताया गया था.

इस स्कूल के संचालक का कहना था कि डीएम के आदेश से तो इन विद्यालयों की स्वतंत्रता खत्म हो जायेगी. इसके अलावे रिट याचिका में कई और मुद्दे उठाये गये थे. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की. इस मामले को लेकर कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता आशुतोष रंजन पांडेय से पूछा की क्या सचमुच स्कूल की स्थिति खराब है. इस पर अपर महाधिवक्ता ने कहा कि इस तरह की बात नहीं है यह बहुत पुराना और संपन्न स्कूल है.

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