इन वजहों से पड़े पटना के इलाकों के नाम… बोरिंग रोड से लेकर मालसलामी तक, हर नाम के पीछे है एक कहानी

Bihar News: बिहार की राजधानी पटना सिर्फ़ राजनीति और खाने पीने के लिए ही मशहूर नहीं है, बल्कि इसकी गलियां और मोहल्ले भी अपने भीतर इतिहास समेटे हुए हैं. यहां का हर इलाका एक अनोखी कहानी कहता है. आइए जानते हैं कि आखिर कैसे पड़े पटना के इन मोहल्लों के नाम और उनसे जुड़ी रोचक बातें.

By JayshreeAnand | September 7, 2025 2:08 PM

Bihar News: किसी भी शहर या मोहल्ले का नाम यूं ही नहीं पड़ता. हर नाम के पीछे एक वजह और पुरानी कहानी छुपी होती है, जो उस जगह की पहचान और इतिहास से जुड़ी होती है. अक्सर हम उन नामों को सुनकर आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन कभी रुककर उनके मायने समझने की कोशिश नहीं करते. पटना के मोहल्लों और प्रखंडों के नाम भी अपने भीतर दिलचस्प किस्से और इतिहास समेटे हुए हैं. तो चलिए जानते हैं, आखिर कैसे पड़े पटना के इलाकों के नाम.

पत्तन से जुड़ा है पटना

पटना का नाम कई बार बदल चुका है. पहले इसे पाटलिपुत्र कहा जाता था. कहा जाता है कि यहां बहुत सारे पाटलि के पेड़ हुआ करते थे, इसलिए पहले इस जगह का नाम पाटलिग्राम पड़ा और बाद में नगर बनने पर यह पाटलिपुत्र कहलाया. 1704 ई. में मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने अपने पोते और सूबेदार मुहम्मद अज़ीम की इच्छा पर इसका नाम अज़ीमाबाद रख दिया. बाद में यह नाम बदलकर फिर से पटना हो गया. पटना शब्द ‘पत्तन’ जुड़ा है. गंगा के चौड़े घाटों पर बड़े-बड़े जहाज रुकते थे और माल-ढुलाई होती थी. जहाज रुकने की जगह को पतन बोलते हैं. यही ‘पत्तन’ शब्द समय के साथ बदलकर ‘पटना’ बन गया.

क्यों कहते हैं बोरिंग रोड

पटना का मशहूर और पॉश इलाका बोरिंग रोड अपने नाम की वजह से भी खास है. क्या कभी आपने सोचा है कि इस जगह का नाम बोरिंग रोड क्यों पड़ा? दरअसल, पटना में सबसे पहली पानी की बोरिंग यहीं की गई थी. ए.एन. कॉलेज के पास हुई उसी बोरिंग के कारण इस इलाके को लोग बोरिंग रोड कहने लगे.

बगीचों से जुड़ा है गुलजारबाग

पटना के गुलजारबाग और गर्दनीबाग दोनों इलाकों के नाम का रिश्ता बगीचों से जुड़ा है. पुराने समय में यहां बड़े-बड़े बाग-बगीचे हुआ करते थे, इसलिए इन जगहों के नाम में ‘बाग’ जुड़ गया. गर्दनीबाग के नाम के पीछे एक और दिलचस्प किस्सा भी है. कहा जाता है कि कभी यह इलाका आदिवासी लोगों का गढ़ था. यहां गर्दनिया नाम के आदिवासी रहते थे, जो यात्रियों को लूटने और मार डालने के लिए कुख्यात थे.

छज्जू माली से छज्जूबाग

गांधी मैदान के पास का इलाका छज्जूबाग उस माली के नाम पर पड़ा, जो यहां बाग-बगीचों की देखभाल करता था. उसी छज्जू शाह का मकबरा आज भी मौजूद है.

टैक्स से जुड़ा मालसलामी

पटना सिटी में बने चुंगी कार्यालय पर व्यापारी अपने माल पर टैक्स (सलामी) देते थे. इसी वजह से इस जगह का नाम मालसलामी पड़ा.

बौद्ध स्तूपों से जुड़ी बड़ी और छोटी पहाड़ी

पटना सिटी के दक्षिण-पूर्व का इलाका अशोक मौर्य काल में बने बौद्ध स्तूपों के कारण बड़ी और छोटी पहाड़ी कहलाया.

मक्खन बेचने वाले से मखानियां कुआं

पटना अस्पताल के पास बने एक कुएं पर रोज़ मक्खन बिकता था. वहीं से नाम पड़ा मखानियां कुआं.

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