Disaster Alert: छात्रों और किसानों तक पहुंचेगा आपदा अलर्ट ठनका, आंधी-पानी और लू से पहले बजेगी सतर्कता की घंटी

Disaster Alert: बिहार में हर साल दर्जनों जिंदगियां ठनका गिरने से बुझ जाती हैं. खेत में काम करता किसान हो या सड़क पर चलता राहगीर, आसमान से गिरती बिजली अचानक सब कुछ छीन लेती है. अब यह खतरा समय रहते टल सकेगा, क्योंकि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक नई पहल शुरू की है—सीधे छात्रों, अभिभावकों और किसानों के मोबाइल पर अलर्ट मैसेज भेजने की.

By Pratyush Prashant | September 14, 2025 8:10 AM

Disaster Alert: बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने ठनका, आंधी-पानी, तेज बारिश और लू जैसी प्राकृतिक आपदाओं से पहले चेतावनी पहुंचाने के लिए नई रणनीति बनाई है. अब सिर्फ सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ही नहीं, बल्कि स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों और किसानों को भी अलर्ट एसएमएस भेजा जाएगा.

इस कदम का मकसद है—आपदा से पहले अधिक से अधिक लोगों को सतर्क करना और अनचाही मौतों को रोकना.

छात्रों और अभिभावकों को मिलेगा एसएमएस

अब तक अलर्ट संदेश मुख्य रूप से सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं और जीविका दीदियों तक ही सीमित थे. लेकिन ठनका गिरने से लगातार हो रही मौतों ने प्राधिकरण को सोचने पर मजबूर किया.

तय किया गया है कि स्कूल और कॉलेज से जुड़े छात्र और उनके अभिभावक भी इस दायरे में आएंगे. माना जा रहा है कि बच्चों को समय रहते जानकारी मिलने पर परिवार और समुदाय में सतर्कता बढ़ेगी.

किसानों को जोड़ने की नई पहल

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सर्वे रिपोर्ट बताती है कि ठनका से सबसे अधिक जानें खेतों में काम करने वाले किसानों की जाती हैं. खेतों में खुले आसमान के नीचे काम करते समय बिजली गिरने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. यही वजह है कि इस बार किसानों तक अलर्ट संदेश पहुंचाने का विशेष इंतज़ाम किया जा रहा है. जिन किसानों के पास मोबाइल फोन है और जो गांव में रहते हैं, उन्हें सूचीबद्ध कर इस प्रणाली से जोड़ा जाएगा.

गांव-देहात में सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि आम लोग भी आपदा के समय असुरक्षित रहते हैं इसलिए इस बार ग्रामीण दुकानदारों और मंदिर के पुजारियों को भी इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा. दुकानदार अलर्ट संदेश को अपने ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं, वहीं पुजारी गांव के धार्मिक आयोजनों में बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को समय रहते सचेत कर सकते हैं.

ठनका से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले

बिहार में ठनका गिरने की घटनाएं हर साल सैकड़ों मौतों का कारण बनती हैं. प्राधिकरण के अनुसार जमुई, भागलपुर, पूर्णिया, बांका, गया, औरंगाबाद, कटिहार, पटना, नवादा और रोहतास सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं. दूसरे स्तर पर सारण, सीवान, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, भोजपुर और पश्चिम चंपारण आते हैं.

वहीं, तीसरे स्तर पर गोपालगंज, मधुबनी, कैमूर, जहानाबाद, बक्सर, खगड़िया, मधेपुरा, अरवल, वैशाली, शेखपुरा, सहरसा, लखीसराय, सुपौल और मुजफ्फरपुर जैसे जिले शामिल हैं.

चेतावनी से घटेगी आपदा की मारक क्षमता

मौसम पूर्वानुमान और तकनीकी उपकरणों की मदद से अलर्ट संदेश समय रहते भेजे जाएंगे. विशेषज्ञ मानते हैं कि ठनका या लू जैसी आपदाओं से मौतों को पूरी तरह रोक पाना संभव नहीं है, लेकिन सतर्कता से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है. लोगों को अगर पहले से सूचना मिल जाए,

तो वे खेत छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा सकते हैं, बच्चे स्कूल से निकलने से बच सकते हैं और ग्रामीण सामुदायिक तौर पर सुरक्षित कदम उठा सकते हैं.

अबतक क्यों नहीं रुकी मौतें

अब तक अधिकारी और प्रतिनिधि वर्ग तक ही संदेश पहुंचते थे. गांव के आम लोग तक यह जानकारी देर से पहुंचती थी. परिणाम यह हुआ कि ठनका गिरने से हर साल किसानों की मौतें दर्ज की जाती रहीं.

इस बार प्राधिकरण ने सीधा उन तक पहुंचने की योजना बनाई है, जिनकी जान पर सबसे अधिक खतरा मंडराता है.

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